नई दिल्ली: पैसे सोच-समझकर खर्च करो, कार मत खरीदो, होम लोन से बचो। इन दिनों ज्यादातर फाइनेंशियल एक्सपर्ट यही राय देते दिखते हैं। लेकिन, श्याम अच्युतन ने इस पूरे कॉन्सेप्ट को चुनौती दे दी है। वह ट्यूनरलैब्स के संस्थापक और सीटीओ हैं। वह कहते हैं कि हम सिर्फ मशीन नहीं हैं। इंसान हैं। ऐसे जिनकी भावनाएं, सपने और जरूरतें होती हैं। लिहाजा, कभी-कभी जो चीजें हमें पैसों की बर्बादी लगती हैं, असल में वो हमारी जिंदगी के लिए बहुत जरूरी हो सकती हैं। मसलन, अपना घर खरीदना या गाड़ी लेना। ये सिर्फ चीजें नहीं, बल्कि खुशी और आजादी देती हैं।
आजकल, वित्तीय सलाह देने वाले बहुत से लोग मिल जाएंगे। वे हमें बताते हैं कि हर रुपये का सही इस्तेमाल करो। कार मत खरीदो, क्योंकि शोरूम से निकलते ही उसकी कीमत कम हो जाती है। होम लोन तुम्हें सालों तक बांधे रखेगा। ईएमआई तुम्हारी दुश्मन है। इसके उलट श्याम अच्युतन का कहना है, 'हम सिर्फ स्प्रेडशीट नहीं हैं। हम इंसान हैं। हमारे अंदर भावनाएं हैं। सपने हैं। हम जो भी करते हैं, उसका कोई मतलब होना चाहिए।' ऐसे में कई बार जो चीज वित्तीय रूप से गलत लगती है, वही हमारे जीवन का महत्वपूर्ण पल बन जाती है।
मकान खरीदना सिर्फ ईंट और ब्याज की बात नहीं
श्याम अच्युतन के मुताबिक, भावनात्मक संपत्ति भी मायने रखती है। मान लीजिए, कोई व्यक्ति हमेशा किराए के घर में रहा है। वह हर साल घर बदलता है। ऐसे व्यक्ति के लिए घर खरीदना सिर्फ ईंट और ब्याज की बात नहीं है। यह उसकी पहचान है। यह एक ऐसी जगह पर जागना है जो सच में उसकी अपनी है। अपने नाम की नेमप्लेट लगाना और एक ऐसे जीवन में स्थिरता लाना है जो अक्सर बदलता रहता है।
अच्युतन कहते हैं, 'मकान खरीदना कुछ लोगों को एक महंगी गलती लग सकती है। लेकिन, कई लोगों के लिए यह भावनात्मक रूप से एक पड़ाव है। सुरक्षा और अपनेपन की भावना किसी भी बाजार रिटर्न से ज्यादा कीमती है।' इसी तरह, कार हमेशा एक विलासिता नहीं होती है। यह आजादी है। यह बूढ़े माता-पिता से मिलने, बारिश में बच्चों को स्कूल छोड़ने या सिर्फ दिमाग को शांत करने के लिए लंबी ड्राइव पर जाने की क्षमता है। बेशक, इसमें पैसे खर्च होते हैं। लेकिन, बदले में खुशी, जुड़ाव और मन की शांति मिलती है।
इच्छाओं और समझदारी के बीच संतुलन जरूरी
अच्युतन व्यावहारिक होने की बात भी करते हैं। अपनी इच्छाओं और समझदारी के बीच संतुलन बनाए रखने की बात कहते हैं।
उनका कहना है, 'आप समझदारी से वित्तीय फैसले लेते हुए भी अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।' इसका एक अच्छा उदाहरण है 2-3 साल पुरानी अच्छी कंडीशन वाली कार खरीदना। इससे नई कार की तरह ज्यादा नुकसान नहीं होता है। आपको आधुनिक सुविधाएं भी मिल जाती हैं।
यही बात गैजेट्स या लाइफस्टाइल में बदलाव पर भी लागू होती है। अगर आप 10,000 रुपये की EMI पर फोन खरीद रहे हैं तो खुद को एक चुनौती दें। अगले महीने से 10,000 रुपये ज्यादा कमाने का तरीका खोजें। अच्युतन कहते हैं, 'अपनी मौज-मस्ती को प्रोत्साहन में बदलें। कोई साइड बिजनेस शुरू करें। फ्रीलांसिंग करें। अपने हुनर से पैसे कमाएं। अपने खर्चों को अपनी तरक्की का जरिया बनाएं।'
पैसा सिर्फ जमा करने के लिए नहींखरीदने से पहले आजमाएं। कोई भी बड़ी चीज खरीदने से पहले अच्युतन भविष्य को ध्यान में रखकर एक प्रैक्टिस करने का सुझाव देते हैं। ईएमआई का अनुमान लगाएं। तीन से चार महीने के लिए उतनी रकम अलग रखें जितनी आप ईएमआई में देने वाले हैं। अगर आपकी बचत और जीवनशैली स्थिर रहती है तो आप शायद तैयार हैं। अगर आपको यह मुश्किल लगता है तो आपने खुद को पछतावे से बचा लिया है।
सोच-समझकर खर्च करें, पछतावा नहीं। अच्युतन के विचारों का सार यह है कि पैसा सिर्फ जमा करने के लिए नहीं है, बल्कि यह सही काम में लगना चाहिए। उनका कहना है, 'अपने खर्चों को अपने मूल्यों के साथ जोड़ें। फिर उस खर्च को पूरा करने के लिए प्रयास करें। इस तरह आप वित्तीय फैसलों को जीवन के फैसलों में बदल सकते हैं।'
इसलिए, घर खरीदें। कार खरीदें। खुद को फोन गिफ्ट करें। लेकिन हर खरीदारी सिर्फ उपभोग नहीं होनी चाहिए। यह तरक्की का जरिया, विकास का प्रतीक और बेहतर बनने की प्रतिबद्धता होनी चाहिए।
आजकल, वित्तीय सलाह देने वाले बहुत से लोग मिल जाएंगे। वे हमें बताते हैं कि हर रुपये का सही इस्तेमाल करो। कार मत खरीदो, क्योंकि शोरूम से निकलते ही उसकी कीमत कम हो जाती है। होम लोन तुम्हें सालों तक बांधे रखेगा। ईएमआई तुम्हारी दुश्मन है। इसके उलट श्याम अच्युतन का कहना है, 'हम सिर्फ स्प्रेडशीट नहीं हैं। हम इंसान हैं। हमारे अंदर भावनाएं हैं। सपने हैं। हम जो भी करते हैं, उसका कोई मतलब होना चाहिए।' ऐसे में कई बार जो चीज वित्तीय रूप से गलत लगती है, वही हमारे जीवन का महत्वपूर्ण पल बन जाती है।
मकान खरीदना सिर्फ ईंट और ब्याज की बात नहीं
श्याम अच्युतन के मुताबिक, भावनात्मक संपत्ति भी मायने रखती है। मान लीजिए, कोई व्यक्ति हमेशा किराए के घर में रहा है। वह हर साल घर बदलता है। ऐसे व्यक्ति के लिए घर खरीदना सिर्फ ईंट और ब्याज की बात नहीं है। यह उसकी पहचान है। यह एक ऐसी जगह पर जागना है जो सच में उसकी अपनी है। अपने नाम की नेमप्लेट लगाना और एक ऐसे जीवन में स्थिरता लाना है जो अक्सर बदलता रहता है।
अच्युतन कहते हैं, 'मकान खरीदना कुछ लोगों को एक महंगी गलती लग सकती है। लेकिन, कई लोगों के लिए यह भावनात्मक रूप से एक पड़ाव है। सुरक्षा और अपनेपन की भावना किसी भी बाजार रिटर्न से ज्यादा कीमती है।' इसी तरह, कार हमेशा एक विलासिता नहीं होती है। यह आजादी है। यह बूढ़े माता-पिता से मिलने, बारिश में बच्चों को स्कूल छोड़ने या सिर्फ दिमाग को शांत करने के लिए लंबी ड्राइव पर जाने की क्षमता है। बेशक, इसमें पैसे खर्च होते हैं। लेकिन, बदले में खुशी, जुड़ाव और मन की शांति मिलती है।
इच्छाओं और समझदारी के बीच संतुलन जरूरी
अच्युतन व्यावहारिक होने की बात भी करते हैं। अपनी इच्छाओं और समझदारी के बीच संतुलन बनाए रखने की बात कहते हैं।
उनका कहना है, 'आप समझदारी से वित्तीय फैसले लेते हुए भी अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।' इसका एक अच्छा उदाहरण है 2-3 साल पुरानी अच्छी कंडीशन वाली कार खरीदना। इससे नई कार की तरह ज्यादा नुकसान नहीं होता है। आपको आधुनिक सुविधाएं भी मिल जाती हैं।
यही बात गैजेट्स या लाइफस्टाइल में बदलाव पर भी लागू होती है। अगर आप 10,000 रुपये की EMI पर फोन खरीद रहे हैं तो खुद को एक चुनौती दें। अगले महीने से 10,000 रुपये ज्यादा कमाने का तरीका खोजें। अच्युतन कहते हैं, 'अपनी मौज-मस्ती को प्रोत्साहन में बदलें। कोई साइड बिजनेस शुरू करें। फ्रीलांसिंग करें। अपने हुनर से पैसे कमाएं। अपने खर्चों को अपनी तरक्की का जरिया बनाएं।'
पैसा सिर्फ जमा करने के लिए नहींखरीदने से पहले आजमाएं। कोई भी बड़ी चीज खरीदने से पहले अच्युतन भविष्य को ध्यान में रखकर एक प्रैक्टिस करने का सुझाव देते हैं। ईएमआई का अनुमान लगाएं। तीन से चार महीने के लिए उतनी रकम अलग रखें जितनी आप ईएमआई में देने वाले हैं। अगर आपकी बचत और जीवनशैली स्थिर रहती है तो आप शायद तैयार हैं। अगर आपको यह मुश्किल लगता है तो आपने खुद को पछतावे से बचा लिया है।
सोच-समझकर खर्च करें, पछतावा नहीं। अच्युतन के विचारों का सार यह है कि पैसा सिर्फ जमा करने के लिए नहीं है, बल्कि यह सही काम में लगना चाहिए। उनका कहना है, 'अपने खर्चों को अपने मूल्यों के साथ जोड़ें। फिर उस खर्च को पूरा करने के लिए प्रयास करें। इस तरह आप वित्तीय फैसलों को जीवन के फैसलों में बदल सकते हैं।'
इसलिए, घर खरीदें। कार खरीदें। खुद को फोन गिफ्ट करें। लेकिन हर खरीदारी सिर्फ उपभोग नहीं होनी चाहिए। यह तरक्की का जरिया, विकास का प्रतीक और बेहतर बनने की प्रतिबद्धता होनी चाहिए।
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