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महाराष्ट्र की लोकल बॉडी के अध्यक्षों को अब हटा सकेंगे सदस्य, फडणवीस कैबिनेट का बहुत बड़ा फैसला, जानें

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मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली सरकार ने एक बड़ निर्णय लिया है। मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने नगर परिषद, नगर पंचायत और औद्योगिक नगरों के अध्यक्षों को हटाने की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया। मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार अध्यक्षों को हटाने का अधिकार सदस्यों को दे दिया है। पहले यह अधिकार महाराष्ट्र सरकार के पास था। मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र नगर परिषद, नगर पंचायत और औद्योगिक नगरी अधिनियम, 1965 में संशोधन को मंजूरी दी गई। नए अधिनियम के तहत राज्य की नगर परिषद, नगर पंचायत, औद्योगिक नगरों के अध्यक्षों को उनके पद से हटाने का अधिकार सदस्यों को दिया गया है। पहले क्या थी प्रक्रिया? इसके पहले नगराध्यक्ष को पद से हटाने की प्रक्रिया में निर्वाचित सदस्यों में से 50 फीसदी सदस्यों के हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव जिला कलेक्टर को भेजा जाता था। इसके बाद शासन स्तर पर अध्यक्ष को हटाने की कार्रवाई की जाती थी।अब अध्यक्ष को हटाने का अधिकार निर्वाचित सदस्यों को दिया जाएगा। निर्वाचित सदस्यों के दो-तिहाई हस्ताक्षरों के साथ एक प्रस्ताव भेजा जाएगा। उस पर जिला कलेक्टर को 10 दिन के अंदर विशेष बैठक आयोजित कर मतदान के माध्यम से निर्णय लेना होगा। इस संबंध में अधिनियम में संशोधन करने तथा इसके लिए अध्यादेश जारी करने को मंजूरी दी गई। कैबिनेट में हुए कई बड़े फैसले महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में महानगरपालिका की अचल संपत्ति तथा नगर परिषद, नगर पंचायत और औद्योगिक नगरों में सम्पत्तियों को किराए पर देने के नियमों में एकरूपता लाई आएगी। नई दरों के संबंध में कैबिनेट बैठक में अधिसूचना जारी करने को मंजूरी दी। इसके अलावा राज्य में नगर परिषद, नगरपंचायत और औद्योगिक नगर क्षेत्र में बकाया प्रापर्टी टैक्स की वसूली के लिए अभय योजना मंजूरी प्रदान की गई। इसके साथ जुर्माना माफ कर वसूली बढ़ाने का लक्ष्य को मंजूरी दी गई। कैबिनेट की बैठक में चिखलोली-अंबरनाथ में जूनियर लेवल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सिविल कोर्ट को मंजूरी दी गई। इसके साथ ही लातूर के पुरणमल लाहोटी सरकारी तकनीकी कॉलेज मे तीन नए इंजीनियरिंग डिग्री पाठ्यक्रम शुरू करने को मंजूरी प्रदान की गई। कैबिनेट में फैसला लिया गया कि भूमि अधिग्रहण का मुआवजा विलंब से देने पर अब उस राशि पर एक समान दर से ब्याज का भुगतान किया जाएगा। यह ब्याज बैंकों के ब्याज दर से एक प्रतिशत अधिक होगा। इस बारे में विधेयक पेश करने की मंजूरी कैबिनेट बैठक में दी गई।
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