नई दिल्ली: सोमवार को भारतीय शेयर मार्केट में तूफानी तेजी आई। सेंसेक्स 900 अंक से ज्यादा की तेजी के साथ खुला था। वहीं निफ्टी में भी 300 अंक से ज्यादा की तेजी आई। कुछ ही देर बाद सेंसेक्स 1000 अंक से ज्यादा चढ़ गया। वहीं दूसरी ओर पड़ोसी देश चीन का शेयर मार्केट धड़ाम है। चीनी मार्केट के CSI 300 बेंचमार्क ने 10 साल में निवेशकों को काफी निराश किया है। वहीं सेंसेक्स इन 10 सालों में निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दे चुका है।
क्या है चीनी बाजार की स्थितिपिछले 10 साल ने चीन का CSI 300 बेंचमार्क कछुए की चाल से आगे बढ़ रहा है। इन 10 सालों में CSI 300 बेंचमार्क में करीब 3.15% की तेजी आई है। यानी अगर किसी शख्स ने इसमें 10 साल पहले एक लाख रुपये निवेश किए होते तो उसकी वैल्यू आज 1.03 लाख रुपये से कुछ ही ज्यादा होती। यानी इन 10 सालों उस शख्स को सिर्फ 3150 रुपये का ही फायदा हुआ होता, जो बेहद मामूली है।
सेंसेक्स कहां पहुंचा?बात अगर भारतीय शेयर बाजार के सेसेंक्स बेंचमार्क की करें तो इसने इन 10 सालों में झंडे गाड़ दिए हैं। इन सालों में सेंसेक्स का रिटर्न करीब 200 फीसदी रहा है। अगर किसी शख्स ने सेंसेक्स में 10 साल पहले एक लाख रुपये निवेश किए होते तो उनकी वैल्यू आज करीब 3 लाख रुपये होती। यानी इन 10 सालों में एक लाख रुपये के निवेश पर दो लाख रुपये का फायदा हो चुका होता। यह चीनी के CSI 300 बेंचमार्क के मुकाबले 60 गुने से काफी ज्यादा है।
क्यों रेंग रहा चीनी मार्केट?चीनी शेयर मार्केट की चाल से वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी परेशान हो गए हैं। दरअसल, चीन के बाजार को लंबे समय से देख रहे लोगों का कहना है कि इसकी एक बड़ी वजह यहां का सिस्टम है। 35 साल पहले ये बाजार इसलिए बनाया गया था ताकि सरकारी कंपनियां लोगों की बचत का इस्तेमाल सड़कें, बंदरगाह और फैक्ट्रियां बनाने में कर सकें। इसलिए बाजार का ध्यान निवेशकों को अच्छा रिटर्न देने पर नहीं था। इस वजह से कई दिक्कतें हुईं, जैसे कि शेयरों की ज्यादा सप्लाई और लिस्टिंग के बाद गलत तरीके अपनाना। इन सब वजहों से 11 ट्रिलियन डॉलर का ये बाजार अभी भी परेशान है।
चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ के प्रोफेसर लिउ जिपेंग ने बताया कि चीन का कैपिटल मार्केट लंबे समय से फाइनेंसरों के लिए स्वर्ग और निवेशकों के लिए नरक रहा है। हालांकि, नए सिक्योरिटीज चीफ ने कुछ सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि रेगुलेटर और एक्सचेंज हमेशा जानबूझकर या अनजाने में फाइनेंसिंग की तरफ झुके रहते हैं।
चीन के नेताओं पर दबावचीन के नेताओं पर अब इस स्थिति को सुधारने का दबाव है। शी जिनपिंग चाहते हैं कि लोग ज्यादा खर्च करें ताकि देश की अर्थव्यवस्था 5% की दर से बढ़ सके। खासकर तब, जब अमेरिका के साथ व्यापार को लेकर तनाव चल रहा है। चीन को अपने तकनीकी कंपनियों को आगे बढ़ाने के लिए भी बहुत पैसे की जरूरत है, भले ही उनसे ज्यादा फायदा न हो। इसलिए सरकार बाजार को पूंजी जुटाने का जरिया बनाए रखना चाहती है।
क्या है चीनी बाजार की स्थितिपिछले 10 साल ने चीन का CSI 300 बेंचमार्क कछुए की चाल से आगे बढ़ रहा है। इन 10 सालों में CSI 300 बेंचमार्क में करीब 3.15% की तेजी आई है। यानी अगर किसी शख्स ने इसमें 10 साल पहले एक लाख रुपये निवेश किए होते तो उसकी वैल्यू आज 1.03 लाख रुपये से कुछ ही ज्यादा होती। यानी इन 10 सालों उस शख्स को सिर्फ 3150 रुपये का ही फायदा हुआ होता, जो बेहद मामूली है।
सेंसेक्स कहां पहुंचा?बात अगर भारतीय शेयर बाजार के सेसेंक्स बेंचमार्क की करें तो इसने इन 10 सालों में झंडे गाड़ दिए हैं। इन सालों में सेंसेक्स का रिटर्न करीब 200 फीसदी रहा है। अगर किसी शख्स ने सेंसेक्स में 10 साल पहले एक लाख रुपये निवेश किए होते तो उनकी वैल्यू आज करीब 3 लाख रुपये होती। यानी इन 10 सालों में एक लाख रुपये के निवेश पर दो लाख रुपये का फायदा हो चुका होता। यह चीनी के CSI 300 बेंचमार्क के मुकाबले 60 गुने से काफी ज्यादा है।
क्यों रेंग रहा चीनी मार्केट?चीनी शेयर मार्केट की चाल से वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी परेशान हो गए हैं। दरअसल, चीन के बाजार को लंबे समय से देख रहे लोगों का कहना है कि इसकी एक बड़ी वजह यहां का सिस्टम है। 35 साल पहले ये बाजार इसलिए बनाया गया था ताकि सरकारी कंपनियां लोगों की बचत का इस्तेमाल सड़कें, बंदरगाह और फैक्ट्रियां बनाने में कर सकें। इसलिए बाजार का ध्यान निवेशकों को अच्छा रिटर्न देने पर नहीं था। इस वजह से कई दिक्कतें हुईं, जैसे कि शेयरों की ज्यादा सप्लाई और लिस्टिंग के बाद गलत तरीके अपनाना। इन सब वजहों से 11 ट्रिलियन डॉलर का ये बाजार अभी भी परेशान है।
चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ के प्रोफेसर लिउ जिपेंग ने बताया कि चीन का कैपिटल मार्केट लंबे समय से फाइनेंसरों के लिए स्वर्ग और निवेशकों के लिए नरक रहा है। हालांकि, नए सिक्योरिटीज चीफ ने कुछ सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि रेगुलेटर और एक्सचेंज हमेशा जानबूझकर या अनजाने में फाइनेंसिंग की तरफ झुके रहते हैं।
चीन के नेताओं पर दबावचीन के नेताओं पर अब इस स्थिति को सुधारने का दबाव है। शी जिनपिंग चाहते हैं कि लोग ज्यादा खर्च करें ताकि देश की अर्थव्यवस्था 5% की दर से बढ़ सके। खासकर तब, जब अमेरिका के साथ व्यापार को लेकर तनाव चल रहा है। चीन को अपने तकनीकी कंपनियों को आगे बढ़ाने के लिए भी बहुत पैसे की जरूरत है, भले ही उनसे ज्यादा फायदा न हो। इसलिए सरकार बाजार को पूंजी जुटाने का जरिया बनाए रखना चाहती है।
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