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तिरुपति मंदिर में नकली घी बेचने वाला दिल्ली का कारोबारी गिरफ्तार, कैसे चल रहा था पूरा खेला?

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नई दिल्ली: तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डुओं में मिलावट का बड़ा खुलासा हुआ है। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने दिल्ली के केमिकल व्यापारी अजय कुमार सुगंधा को गिरफ्तार किया है। उस पर आरोप है कि वह कई सालों से भोलेबाबा डेयरी के निदेशकों, पोमिल जैन और विपिन जैन के साथ मिलकर नकली घी बनाने के लिए केमिकल सप्लाई कर रहा था। यह नकली घी तिरुपति के लड्डुओं में इस्तेमाल होता था।

एसआईटी के अधिकारियों ने बताया कि अजय कुमार करीब 7 साल से भोलेबाबा डेयरी को मोनो-ग्लिसराइड्स, एसिटिक एसिड और एस्टर जैसे केमिकल दे रहा था। ये केमिकल पाम ऑयल को असली घी जैसा दिखाने के लिए इस्तेमाल होते थे। पाम ऑयल एक वनस्पति तेल है जो ताड़ के फल से बनता है। इन केमिकल्स को मिलाकर पाम ऑयल को इस तरह तैयार किया जाता था कि वह असली डेयरी घी जैसा दिखे। ये केमिकल दक्षिण कोरिया से इंपोर्ट किए जाते थे और दिल्ली के एक नेटवर्क के जरिए बांटे जाते थे। अजय कुमार अपनी कंपनी के नाम पर ये केमिकल खरीदकर डेयरी की प्रोडक्शन यूनिट्स तक पहुंचाता था।

कैसे चल रहा था ये गोरखधंधा?
  • जांचकर्ताओं का कहना है कि पाम ऑयल में इन केमिकल्स को मिलाकर नकली घी बनाया जाता था। इस नकली घी को 'वैष्णवी' और 'एआर डेयरी' जैसे ब्रांड नामों से बेचा जाता था। फिर इस नकली घी को तिरुपति के पवित्र लड्डुओं में इस्तेमाल किया जाता था।
  • एसआईटी की जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि तिरुपति के लड्डुओं में इस्तेमाल होने वाले 90% से ज्यादा घी में पाम ऑयल और केमिकल एडिटिव्स मिले हुए थे।
  • फोरेंसिक टीमों की लैब जांच में भी यही बात सामने आई है। लैब जांच में पता चला है कि असली डेयरी घी में ऐसे सिंथेटिक कंपाउंड्स नहीं होते। यह मामला कई राज्यों में फैले सप्लाई चेन फ्रॉड की ओर इशारा करता है।
  • अजय कुमार को तीन दिन पहले दिल्ली से पकड़ा गया था। इसके बाद उसे पूछताछ के लिए तिरुपति स्थित एसआईटी ऑफिस लाया गया। जांचकर्ताओं ने उसके वित्तीय रिकॉर्ड और पत्राचार को जब्त किया है। ये रिकॉर्ड उसे केमिकल सप्लाई से जोड़ने का दावा करते हैं। यानी, उसके पास ऐसे सबूत मिले हैं जो साबित करते हैं कि वह केमिकल सप्लाई करता था। उसे नेल्लोर एसीबी कोर्ट में पेश किया गया। वहां से उसे 21 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। न्यायिक हिरासत का मतलब है कि उसे जेल में रखा जाएगा जब तक कि आगे की सुनवाई न हो।
  • एसआईटी इस मिलावट रैकेट में शामिल अन्य सप्लायर्स और फाइनेंसरों का पता लगाने में जुटी है। सप्लायर्स वे लोग होते हैं जो सामान पहुंचाते हैं, और फाइनेंसर वे होते हैं जो इस धंधे के लिए पैसा लगाते हैं। इस मामले ने भारत के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक में गुणवत्ता नियंत्रण और धार्मिक खाद्य पदार्थों की पवित्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है मामला? यह पूरा घोटाला सितंबर 2024 में सामने आया। तब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर आरोप लगाया था कि उन्होंने टीटीडी के लड्डुओं में पशु वसा वाले मिलावटी घी के इस्तेमाल की इजाजत दी थी। पशु वसा का मतलब जानवरों से मिलने वाला फैट होता है। इस खुलासे के बाद लोगों में भारी नाराजगी फैल गई और कोर्ट की निगरानी में एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी का गठन इसलिए किया गया ताकि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो सके।
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