जब आप समस्याओं से घिर जाएं और जीवन में कोई रास्ता नजर न आए तो ऐसे में मार्गदर्शक भगवान, गुरु का सहारा व्यक्ति को संकटों से उबारता है। जिस प्रकार जब गज को मगर द्वारा जकड़ लिया गया तो उसने बचने के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की, उसी प्रकार गजेंद्र मोक्ष का पाठ आस्था से करने से आपको परेशानियों से निकलने का रास्ता मिलता है। गजेंद्र का पैर मगर के चंगुल में फंसना इस बात का प्रतीक है कि जीव अपनी इंद्रियों और अहंकार के कारण माया में जकड़ा रहता है। संशय मुक्त होकर भक्ति और विश्वास से पुकारने पर ईश्वर तुरंत संकटों से उबारते हैं, जैसे गजेंद्र के साथ हुआ। जिस प्रकार अन्त में गजेंद्र नामक हाथी को सद्गति प्राप्त हुई, उसी प्रकार गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से व्यक्ति को भारी से भारी संकटों से मुक्ति मिलती है तथा मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। हाथी राहु का प्रतीक और मगरमच्छ शनि का प्रतीक है, राहु मनुष्य को माया में डालकर सुखों के पीछे भगाता है और जब वह फंस जाता है तो शनि उसे जकड़ लेता है। ‘मगर’ है बड़ा खतरनाक: गजेंद्र मोक्ष के संदर्भ में एक कथावाचक जीवन संदेश देते हुए कहते हैं कि ‘मगर’ होता है बड़ा खतरनाक, सबका पैर पकड़ता है, हनुमान जी का भी पैर ‘मगर’ ने पकड़ा था, हाथी गजेंद्र का पैर भी ‘मगर’ ने पकड़ा। प्रायः हम सभी मनुष्यों का पैर भी ‘मगर’ ही पकड़े हुए है, जो हमारी असफलता का कारण है। उदाहरण के रूप में प्रयागराज के महाकुंभ में देश ही नहीं विदेश के लोग भी पहुंचे, परन्तु कुछ प्रयागराज वासी संगम तट शिविर में नहीं पहुंच पाए, ऐसे लोगों से पूछने पर वह बताते हैं, ‘जाना तो था, ‘मगर’ भीड़ अधिक थी। ‘मगर’ संसार की माया और बंधन का प्रतीक है, यह हम सभी को पकड़े हुए है। ‘मगर’ की काट जैसे गजेंद्र हाथी ने भगवान विष्णु की समर्पण भक्ति से की, उसी प्रकार से जीवन में संशय और तर्क रूपी कुतर्क को भक्ति की शक्ति काटती है। जो लोग विदेशों से तथा दूसरे प्रदेशों से आए, क्या उनके लिए अत्यधिक भीड़ नहीं थी, उनकी आस्था इतनी प्रबल थी, कि सर्दी, मीलों की पैदल यात्रा, कठिनाइयों की बिना फिक्र किए, पुण्य की डुबकी लगाने वे मंजिल पर पहुंच गए। यही भक्ति की शक्ति न केवल सफलता दिलाती है, बल्कि मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करती है, सच्ची भक्ति वह है जो हृदय की गहराई से निकलती है और यही इस स्तोत्र का सार है। समर्पण के इस दिव्य संदेश के साथ इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की प्रत्येक प्रतिकूल परिस्थितियों और संकटों से व्यक्ति उबर जाता है।
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