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लाल किले की सुरक्षा में चूक...अब हर दिन हो रहा सिक्योरिटी रिव्यू , एंटी ड्रोन संग एयर डिफेंस सिस्टम से 'किलेबंदी'

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नई दिल्ली : 15 अगस्त को लेकर लाल किले की सुरक्षा हर दिन 'रिव्यू' के साथ सख्त होती जा रही है। सुरक्षा चूक में दो दिन पहले 7 पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए थे। का जायजा लिया। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद खतरे को लेकर सबसे ज्यादा अलर्ट है। लिहाजा 'एंटी ड्रोन सिस्टम' और 'एयर डिफेंस सिस्टम' लगाए जा रहे हैं। लाल किले की सुरक्षा के लिए लाल किले मंगलवार को एसपीजी ने के आसपास फिर से इंटेलिजेंस रिपोर्ट में ड्रोन के दिल्ली पुलिस इस बार 49 कंपनियों को तैनात कर रही है।



पीएम सिक्योरिटी के हाथों में है सुरक्षा व्यवस्था

सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक लाल किले के अंदरूनी हिस्से का सुरक्षा कवर 'पीएम सिक्योरिटी' ने अपने हाथ में लिया हुआ है। जिस लोकेशन पर पीएम सिक्योरिटी तैनात है। वहां दिल्ली पुलिस के जवानों को भी जाने की परमिशन नहीं है। दिल्ली पुलिस ने लाल किले के बाहरी हिस्से को कड़े सुरक्षा बंदोबस्त घेरे में लिया हुआ है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की लाल किले के बाहरी हिस्से में 'Ward & Watch' स्कीम लागू है। इस स्कीम के तहत लाल किले को जोड़ने वाले सभी रास्तों की चप्पे-चप्पे पर 24 घंटे निगरानी है।



किले की निगरानी कर रहे इतने जवान

सूत्रों ने बताया, लाल किला का बाहरी हिस्सा पूरी तरह सील है। यहां दिल्ली पुलिस की टू लेयर सिक्योरिटी है। पहली लेयर पर ही 10 मेटल डिटेक्टर, 2 बैगेज स्कैनर लगाए गए हैं । 10 मचान और 25 मोर्चे बनाए गए हैं। पुलिस के 500 जवानों के अलावा पैरामिलिट्री फोर्स की 4 कंपनियां तैनाती है। 300 रूफ टॉप बनाए गए हैं।





लाल किले पर पहली बार UVSS

सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों से पता चला कि इस बार लाल किले पर पहली बार सभी वीआईपी गाड़ियों के लिए UVSS (Under Vehicle Scanning System) टेक्नॉलजी का इस्तेमाल होगा। पहले मिरर टेक्निक से कार चेक की जाती थी। लेकिन इस सिस्टम से गाड़ी के निचले हिस्से को कैमरा पूरी तरह से स्कैन कर स्क्रीन पर दिखा देगा। अब तक लाल किले के आसपास 25 हजार लोगों का टेनेंट वेरिफिकेशन हो चुका है।



AI से लैस 4 अलग-अलग सॉफ्टवेयर के CCTV

4 अलग-अलग टेक्नीक के 450 कैमरे लगाए गए हैं। AI विडियो एनलिस्टिक कैमरा भीड़ में हर शख्स की क्लियर इमेज देते हैं। दूसरा कैमर FRS (फेशियल रिकग्निशन सिस्टम) से लैस हैं। एफआरएस कैमरे पिछले तीन साल से 15 अगस्त 26 जनवरी पर हर तंरफ लगाए जाते हैं। तीसरा सॉफ्टवेयर टेक्नॉलजी (प्यूपिल काउंट) की है। जिसमें मूवमेंट करते लोगों का घटता बढ़ता सटीक आंकड़ा देता है। चौथा सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी IDS (INTRUSION DETECTION SYSTEM) है। जो कि सिक्योरिटी लाइन को कोई भी पार करेगा तो तुरंत अलर्ट कर देगा।







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