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Raghuram Rajan Warning: जापान जैसी गलती पड़ेगी भारी...अमेरिका से डील में बड़े वादे खतरनाक, रघुराम राजन की चेतावनी

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नई दिल्‍ली: आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में भारत के लिए टैरिफ रेंज बताई है। दिग्‍गज अर्थशास्‍त्री ने 10-20% टैरिफ का लक्ष्य रखने की सलाह दी है। उन्होंने आगाह किया है कि जापान जैसे देशों की तरह 'भारी' प्रतिबद्धताएं न की जाएं। राजन का मानना है कि विकसित देशों ने भले ही कम टैरिफ हासिल कर लिए हों। लेकिन, भारत को पूर्वी और दक्षिण एशिया के अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बने रहना चाहिए।

राजन ने 'डीकोडर' को दिए इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत में भारत के लिए 'शून्य टैरिफ' सबसे अच्छा होगा। लेकिन, उन्होंने जोर दिया कि भारत को अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले पिछड़ना नहीं चाहिए। उन्होंने बताया कि पूर्वी और दक्षिण एशिया के कई देशों ने लगभग 19% टैरिफ पर समझौता किया है। वहीं, यूरोप और जापान जैसे विकसित देशों ने 15% और सिंगापुर ने 10% टैरिफ हासिल किया है। राजन के अनुसार, भारत को इसी दायरे में रहना चाहिए और ऐसी कोई भी प्रतिबद्धता नहीं करनी चाहिए जो उसकी अर्थव्यवस्था पर बोझ डाले।

ये होनी चाहिए टैर‍िफ की रेंज रघुराम राजन के मुताबिक, '10 से 20 के बीच कुछ भी बढ़िया होगा। महत्वपूर्ण यह है कि हम ऐसी प्रतिबद्धताएं न करें जो भारी हों और जिन्हें पूरा करना हमारे लिए मुश्किल हो।' राजन ने जापान और यूरो क्षेत्र के उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने भारी निवेश की प्रतिबद्धताएं की हैं। इससे अमेरिका को बड़ा फायदा होने की उम्मीद है। उन्होंने सवाल उठाया कि ये देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को भारी नुकसान पहुंचाए बिना इन प्रतिबद्धताओं को कैसे पूरा करेंगे।

जाने-माने अर्थशास्त्री राजन ने यह भी चेतावनी दी कि कुछ देश शायद बाद में समझौते पर फिर से बातचीत करने की सोच रहे हों। लेकिन, ऐसे अल्पकालिक तरीके जोखिम भरे हो सकते हैं। उन्होंने कहा, 'शायद वे सोचते हैं कि यह सिर्फ कहने की बात है या वे वर्तमान सरकार के कार्यकाल तक टिके रह सकते हैं और बाद में फिर से बातचीत कर सकते हैं। लेकिन, मुझे नहीं लगता कि बेहतर सौदा पाने के लिए इस तरह की प्रतिबद्धताएं करना समझदारी है।'

बढ़ते टैर‍िफ को बताया समस्‍या
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने बढ़ते टैरिफ को भारतीय निर्यातकों के लिए बहुत बड़ी समस्या बताया। उन्होंने खासकर कपड़ा जैसे श्रम-प्रधान (जहां ज्‍यादा मजदूरों की जरूरत होती है) उद्योगों का जिक्र किया। ये उद्योग पहले से ही अमेरिका में आयात में रुकावटों के कारण मौसमी व्यापार खो रहे हैं। राजन ने चिंता जताई, 'हमारे कुछ कपड़ा निर्माता अमेरिका के बड़े स्टोरों और चेन को सामान बेचते हैं। अगर यह बाधित होता है और वे सप्‍लाई के नए स्रोत ढूंढ लेते हैं तो उन्हें वापस पाना मुश्किल हो सकता है।'

राजन ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन में अपनी स्थिति बचाने के लिए तेजी से कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा, 'भारत के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हमारे टैरिफ को जल्दी से कम किया जाए, खासकर उन क्षेत्रों में जहां हमारा श्रम-प्रधान उद्योग है जिसने अमेरिका में कुछ हद तक अपनी जगह बनाई है।'

उन्होंने समझाया कि टैरिफ का मतलब है किसी देश से आने वाले सामान पर लगने वाला टैक्स। जब यह टैक्स ज्‍यादा होता है तो वह सामान महंगा हो जाता है और लोग उसे कम खरीदते हैं। भारत चाहता है कि अमेरिका उस पर कम टैक्स लगाए ताकि भारतीय सामान वहां आसानी से बिक सकें।
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