भरतपुर: राजस्थान के भरतपुर में सामने आए 400 करोड़ रुपये की ठगी के बड़े साइबर फ्रॉड मामले में एक और चौंकाने वाली गिरफ्तारी हुई है। भरतपुर रेंज पुलिस ने इस मामले में शामिल एक और आरोपी देवेंद्रपाल सिंह (37) को गिरफ्तार किया है, जिसने अपने IITian दोस्त शशिकांत के साथ मिलकर ठगी के इस नेटवर्क को खड़ा किया था। खास बात यह है कि देवेंद्रपाल सिंह ने 28 लाख रुपये सालाना की नौकरी छोड़कर अपराध की दुनिया में कदम रखा।
अब तक 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया
आईजी भरतपुर रेंज राहुल प्रकाश के हवाले से मीडिया रिपोटर्स में बताया गया है कि देवेंद्रपाल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के बमरोली गांव का रहने वाला है और एमबीए की पढ़ाई कर चुका है। वह अपने बचपन के दोस्त शशिकांत के साथ मिलकर शेल कंपनियां बनाकर इस ठगी को अंजाम दे रहा था। पुलिस ने अब तक इस केस में 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है जबकि मास्टरमाइंड शशिकांत और उसका साथी रोहित दुबे फरार हैं।
400 करोड़ की ठगी का मास्टर प्लान
मीडिया रिपोटर्स के मुताबिक, शशिकांत और रोहित दुबे ने मिलकर 'एबुडैंस पेमेंट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (ट्राईपे)' नाम की एक कंपनी बनाई थी, जिसका हेडक्वार्टर बेंगलुरु में था। यह कंपनी पेमेंट गेटवे और मर्चेंट के बीच लिंक का काम करती थी और हर ट्रांजैक्शन पर 0.20 परसेंट कमीशन लेती थी। इसी कंपनी के जरिए चार महीने में करीब 400 करोड़ रुपये का लेन-देन किया गया।
गरीबों को बनाया कंपनी डायरेक्टर
मीडिया रिपोटर्स के मुताबिक, गैंग ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को लालच देकर उनके नाम से फर्जी कंपनियां रजिस्टर कराईं। इन लोगों के दस्तावेज लेकर उन्हें कंपनियों का डायरेक्टर बनाया जाता था और बदले में मामूली वेतन दिया जाता था। वहीं, असली संचालन शशिकांत, देवेंद्रपाल और रोहित जैसे लोग करते थे।
इन फर्जी कंपनियों के जरिए गेमिंग, निवेश और ई-कॉमर्स के नाम पर लोगों से पैसे वसूले जाते थे। गैंग का एक और सदस्य, जिसे "रिसेलर" कहा जाता था, गरीबों को फंसाने का काम करता था और दस्तावेज एकत्रित करता था।
FIR का सुराग बना 1930 कॉल
6 मार्च 2025 को धौलपुर साइबर थाने में हरिसिंह नामक व्यक्ति ने साइबर फ्रॉड की शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर की थी। इसकी जांच में पता चला कि पीडि़त के 35 लाख रुपये फिनो पेमेंट बैंक के जरिए चार अलग-अलग कंपनियों के खातों में भेजे गए थे। इन खातों को फ्रीज कर 4 करोड़ रुपये की रकम जब्त की गई।
दिल्ली से पकड़े गए मजदूर पति-पत्नी
8 मई की रात दिल्ली के मोहन गार्डन से दिनेश सिंह, उसकी पत्नी कुमकुम और रविंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया। पुलिस जब इन्हें पकड़ने पहुंची तो वे एक कमरे में बिना पंखे के जमीन पर सोते मिले। पूछताछ में सामने आया कि दोनों अनपढ़ हैं और उनके नाम पर रजिस्टर्ड कंपनी का संचालन शशिकांत कर रहा था।
फर्जी दस्तावेज और सिम से बना नेटवर्क
गैंग ने फर्जी दस्तावेजों और सिम कार्ड्स के सहारे कंपनियां बनाईं। सीए की मदद से अकाउंटिंग और टैक्स फाइलिंग का काम किया जाता था। एक साल में जब किसी कंपनी पर शिकायतें आने लगतीं, तो नई कंपनी बना ली जाती। फिनो पेमेंट बैंक के एक अकाउंट से जुड़े करीब 100 फर्जी कंपनियों के नाम सामने आए हैं।
आगे क्या?
पुलिस ने अभी तक 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन मास्टरमाइंड शशिकांत और रोहित दुबे अब भी फरार हैं। आईजी राहुल प्रकाश के अनुसार, शशिकांत की गिरफ्तारी के बाद पूरे रैकेट का खुलासा हो सकेगा। वहीं, जांच में अब तक देशभर से करीब 10 हजार लोगों से ठगी की आशंका जताई गई है और 4000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं।
अब तक 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया
आईजी भरतपुर रेंज राहुल प्रकाश के हवाले से मीडिया रिपोटर्स में बताया गया है कि देवेंद्रपाल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के बमरोली गांव का रहने वाला है और एमबीए की पढ़ाई कर चुका है। वह अपने बचपन के दोस्त शशिकांत के साथ मिलकर शेल कंपनियां बनाकर इस ठगी को अंजाम दे रहा था। पुलिस ने अब तक इस केस में 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है जबकि मास्टरमाइंड शशिकांत और उसका साथी रोहित दुबे फरार हैं।
400 करोड़ की ठगी का मास्टर प्लान
मीडिया रिपोटर्स के मुताबिक, शशिकांत और रोहित दुबे ने मिलकर 'एबुडैंस पेमेंट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (ट्राईपे)' नाम की एक कंपनी बनाई थी, जिसका हेडक्वार्टर बेंगलुरु में था। यह कंपनी पेमेंट गेटवे और मर्चेंट के बीच लिंक का काम करती थी और हर ट्रांजैक्शन पर 0.20 परसेंट कमीशन लेती थी। इसी कंपनी के जरिए चार महीने में करीब 400 करोड़ रुपये का लेन-देन किया गया।
गरीबों को बनाया कंपनी डायरेक्टर
मीडिया रिपोटर्स के मुताबिक, गैंग ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को लालच देकर उनके नाम से फर्जी कंपनियां रजिस्टर कराईं। इन लोगों के दस्तावेज लेकर उन्हें कंपनियों का डायरेक्टर बनाया जाता था और बदले में मामूली वेतन दिया जाता था। वहीं, असली संचालन शशिकांत, देवेंद्रपाल और रोहित जैसे लोग करते थे।
इन फर्जी कंपनियों के जरिए गेमिंग, निवेश और ई-कॉमर्स के नाम पर लोगों से पैसे वसूले जाते थे। गैंग का एक और सदस्य, जिसे "रिसेलर" कहा जाता था, गरीबों को फंसाने का काम करता था और दस्तावेज एकत्रित करता था।
FIR का सुराग बना 1930 कॉल
6 मार्च 2025 को धौलपुर साइबर थाने में हरिसिंह नामक व्यक्ति ने साइबर फ्रॉड की शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर की थी। इसकी जांच में पता चला कि पीडि़त के 35 लाख रुपये फिनो पेमेंट बैंक के जरिए चार अलग-अलग कंपनियों के खातों में भेजे गए थे। इन खातों को फ्रीज कर 4 करोड़ रुपये की रकम जब्त की गई।
दिल्ली से पकड़े गए मजदूर पति-पत्नी
8 मई की रात दिल्ली के मोहन गार्डन से दिनेश सिंह, उसकी पत्नी कुमकुम और रविंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया। पुलिस जब इन्हें पकड़ने पहुंची तो वे एक कमरे में बिना पंखे के जमीन पर सोते मिले। पूछताछ में सामने आया कि दोनों अनपढ़ हैं और उनके नाम पर रजिस्टर्ड कंपनी का संचालन शशिकांत कर रहा था।
फर्जी दस्तावेज और सिम से बना नेटवर्क
गैंग ने फर्जी दस्तावेजों और सिम कार्ड्स के सहारे कंपनियां बनाईं। सीए की मदद से अकाउंटिंग और टैक्स फाइलिंग का काम किया जाता था। एक साल में जब किसी कंपनी पर शिकायतें आने लगतीं, तो नई कंपनी बना ली जाती। फिनो पेमेंट बैंक के एक अकाउंट से जुड़े करीब 100 फर्जी कंपनियों के नाम सामने आए हैं।
आगे क्या?
पुलिस ने अभी तक 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन मास्टरमाइंड शशिकांत और रोहित दुबे अब भी फरार हैं। आईजी राहुल प्रकाश के अनुसार, शशिकांत की गिरफ्तारी के बाद पूरे रैकेट का खुलासा हो सकेगा। वहीं, जांच में अब तक देशभर से करीब 10 हजार लोगों से ठगी की आशंका जताई गई है और 4000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं।
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