नई दिल्ली: क्रिकेटर जहीर खान और उनकी पत्नी अभिनेत्री सागरिका घाटगे के घर में नया मेहमान आ गया है। दोनों ने सोशल मीडिया पर बच्चे के साथ की तस्वीरें शेयर की हैं। तस्वीर में जहीर अपने बच्चे को गोद में लिए हुए हैं और सागरिका उनके कंधे पर हाथ रखे हुए हैं। जहीर और सागरिका ने तस्वीर के साथ लिखा-प्यार, कृतज्ञता और भगवान के आशीर्वाद के साथ हम अपने अनमोल बेटे फतेहसिंह खान का स्वागत करते हैं। इसके बाद उन्हें बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई। दोनों ने 2017 में शादी की थी। सोशल मीडिया पर क्रिकेटर हरभजन सिंह ने लिखा, 'आपको दोनों को बधाई। वाहेगुरु मेहर करे।' वहीं, अंगद बेदी ने लिखा, 'वाहेगुरु।' जाहिर है दोनों ने ये नाम किसी महान हस्ती के नाम पर ही रखा होगा। हालांकि, दोनों ने ये नाम किसके नाम पर रखा ये तो फिलहाल किसी को नहीं मालूम, मगर इतिहास में इस नाम के दो सिख योद्धा ऐसे हैं, जिन पर पूरे हिंदुस्तान को फख्र है। जानते हैं उनके साहस और बलिदान की वो अद्भुत कहानी। वजीर खान का सिर काटने वाले योद्धा थे भाई फतेह सिंहफतेह सिंह सिख इतिहास में एक महान योद्धा थे। उन्हें वजीर खान का सिर काटने के लिए जाना जाता है, जो सरहिंद का मुगल डिप्टी गवर्नर था। वजीर खान सतलुज और यमुना नदियों के बीच मुगल साम्राज्य के इलाके पर राज करता था। ये वही वजीर खान था, जिसने मुगल बादशाह औरंगजेब के शासन के दौरान 1704 में गुरु गोबिंद सिंह के दो युवा बेटों साहिबजादे फतेह सिंह और साहिबजादे जोरावर सिंह को मारने का आदेश दिया था।
गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की थी, किसे छिपना पड़ा थासिख धर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने साल 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। इनके चार बेटे अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह भी खालसा का हिस्सा थे। उस समय पंजाब में मुगलों का शासन था। साल 1705 में मुगलों ने गुरु गोविंद सिंह को पकड़ने पर पूरा जोर लगा दिया, जिस वजह से उन्हें अपने परिवार से अलग होना पड़ा। ऐसे में गुरु गोविंद सिंह की पत्नी गूजरी देवी दो छोटे पुत्रों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को लेकर अपने रसोइए गंगू के साथ एक गुप्त स्थान पर छिप गईं। साहिबजादों की शहादत का फतेह सिंह ने बदला लेने की ठानीलालच ने गंगू के आंखों पर पट्टी बांध दी और उसने माता गुजरी और उनके पुत्रों को मुगलों को पकड़वा दिया। मुगल गवर्नर वजीर खान ने इन खूब अत्याचार किए और उन्हें उनका धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर करने लगे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। इस समय तक गुरु गोबिंद सिंह जी के दो बड़े पुत्र मुगलों के खिलाफ लड़ाई में शहीद हो चुके थे। अंत में मुगलों ने 26 दिसंबर के दिन बाबा जोरावर साहिब और बाबा फतेह साहिब को दीवार में जिंदा चुनवा दिया। उनकी शहादत की खबर सुनकर माता गूजरी ने भी अपने प्राण त्याग दिए। इसी का बदला भाई फतेह सिंह ने वजीर खान का सिर काटकर लिया था। उन्होंने साहिबजादों के हत्यारे से बदला लेने की ठानी थी। समाना पर हमला करने में बंदा बहादुर के साथ आ गए फतेह सिंहभाई फतेह सिंह प्रमुख सिख उपदेशक भाई भगतू के परपोते थे। फतेह सिंह पंजाब को आजाद कराने में बंदा सिंह बहादुर के साथ शामिल हुए थे। उन्होंने 1709 में समाना की लड़ाई में हिस्स लिया और उसी साल 26 नवंबर को समाना शहर पर हमला किया। समाना जलालुद्दीन का घर था जो गुरु तेग बहादुर का जल्लाद था। यह शशील बेग और बशील बेग का भी घर था, जो गुरु गोविंद सिंह के बेटों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह का जल्लाद था। इस वजह से यह शहर सिखों के बीच काफी नफरत भरा था। नीचे दी गई तस्वीर अवध के नवाब जहांदार शाह के जमाने की है, जिसमें 1710 में सरहिंद के युद्ध में भाई फतेह सिंह घोड़े पर नजर आ रहे हैं।
समाना की लड़ाई में मार डाले 10 हजार मुस्लिमबंदा सिंह, फतेह सिंह और सिख सेना समाना पर आगे बढ़ी और शहर का गेट बंद होने से पहले ही घुस गए। सिख और मुगल सेनाओं के बीच समाना की सड़कों पर लड़ाई हुई। स्थानीय किसान जो शहर के अमीर रईसों से नाराज थे, उन्होंने शहर की कई हवेलियों में आग लगाना शुरू कर दिया। कहा जाता है कि उस दौरान सड़क के किनारे नालियों में खून बह रहा था। मुगल समर्थक करीब 10,000 मुसलमानों का नरसंहार किया गया। चप्पर चिरी के युद्ध में फतेह सिंह ने काटा वजीर खान का सिरफ़तेह सिंह की बहादुरी और युद्ध में जोश से प्रभावित होकर बंदा सिंह ने उन्हें समाना के साथ-साथ समाना के 9 परगनाओं का फौजदार बना दिया। बादमें बंदा सिंह ने घुरम पर विजय हासिल की और इसे फतेह सिंह के प्रशासन में शामिल कर लिया। मई, 1710 में चप्पर चिरी की लड़ाई हुई। जिसमें एक तरफ बंदा सिंह बहादुर के नेतृत्व वाली सिख सेना थी और दूसरी ओर मुगल गवर्नर वजीर खान। सिख सेना में फतेह सिंह भी थे। वजीर खान को युद्ध के मैदान में फतेह सिंह और बाज सिंह ने मार डाला था। फतेह सिंह ने बाज सिंह की मदद से वजीर खान का सिर काट दिया। सरहिंद की मुगल सेना ने घुटने टेक दिए और सिख सेना ने 12 मई 1710 को सरहिंद पर कब्ज़ा कर लिया। बंदा बहादुर और फतेह सिंह ने लिया बदलाबंदा बहादुर और फतेह सिंह ने समाना शहर को पूरी तरह से लूट लिया गया और वज़ीर खान के सैनिकों, अधिकारियों और गुरु गोबिंद सिंह के छोटे बेटों की हत्या से दूर-दूर तक जुड़े हर व्यक्ति से बदला लिया गया। सरहिंद की योजनाबद्ध तबाही को अंजाम नहीं दिया जा सका क्योंकि मुगल सेना के आने के बाद सिख सेना को गुरिल्ला युद्ध लड़ना पड़ा। दिल्ली में बंदा बहादुर और फतेह सिंह की शहादतहालांकि, बाद में फतेह सिंह को दिसंबर, 1710 में लोहागढ़ में मुगल सेना ने बंदी बना लिया और कई वर्षों तक जेल में रखकर यातनाएं दी। इसके बाद जून, 1716 में दिल्ली में बंदा सिंह बहादुर, फतेह सिंह और सिख सेना के कई वीर सैनिकों सहित उनके अन्य साथियों के साथ मार दिया गया।
