US Medical License Law: अमेरिका में डॉक्टर बनना बेहद खर्चीला और लंबा प्रोसेस है। यहां पर डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (MD) की डिग्री मिलती है, जिसे पाने के लिए पहले चार वर्षीय ग्रेजुएशन करना पड़ता है। फिर MCAT जैसे एंट्रेस एग्जाम के स्कोर के आधार पर MD कोर्स में एडमिशन मिलता है, जिसे पूरा होने में चार साल लग जाते हैं। इस तरह अमेरिका में डॉक्टर बनने में आठ साल लग जाते हैं। इसके उलट भारत में स्टूडेंट्स 12वीं के बाद MBBS कर 5.5 साल में डॉक्टर बन सकते हैं। इसमें एक वर्षीय अनिवार्य इंटर्नशिप भी शामिल है।
Video
भारत के MBBS और अमेरिका के MD डिग्री की वैल्यू एक समान ही होती है। हालांकि, अमेरिका में इंटरनेशनल मेडिकल ग्रेजुएट्स (IMGs) यानी विदेशी मेडिकल डिग्री रखने वाले स्टूडेंट्स को प्रैक्टिस की तभी इजाजत मिलती है, जब उन्होंने अमेरिका में रेजिडेंसी प्रोग्राम पूरा किया हो। देश के बाकी राज्यों में भी प्रैक्टिस के लिए यही नियम लागू है। लेकिन अब यहां सवाल उठता है कि क्या भारत से MBBS करने वाले स्टूडेंट्स अमेरिका में बिना रेजिडेंसी का हिस्सा बने मेडिकल प्रैक्टिस कर सकते हैं? आइए इस सवाल का जवाब जानते हैं।
क्या बिना रेजिडेंसी कर सकते हैं US में प्रैक्टिस?
दरअसल, इन दिनों अमेरिका को डॉक्टर्स की कमी से जूझना पड़ रहा है। इस वजह से बहुत से राज्यों ने विदेशी डॉक्टर्स के लिए अपने दरवाजे खोले हैं, ताकि वे उनके यहां आकर बीमार लोगों का इलाज कर सकें। 'फेडरेशन ऑफ स्टेट मेडिकल बोर्ड्स' (FSMB) के मुताबिक, कम से कम 18 राज्यों ने अब लाइसेंसिंग प्रोग्राम बनाए हैं, जो कुछ IMGs को फुल रेजिडेंसी प्रोग्राम पूरा किए बिना ही प्रैक्टिस शुरू करने की इजाजत देते हैं।
एनपीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्लोरिडा, वर्जीनिया, विस्कॉन्सिन, इडाहो, मिनेसोटा और टेक्सास जैसे राज्य उन डॉक्टरों को अस्थायी लाइसेंस जारी कर रहे हैं, जिनके पास पहले से ही विदेश में प्रैक्टिस का लाइसेंस है। ये लाइसेंस तभी मिल रहा है, जब वे यूएस मेडिकल एग्जाम पास कर रहे हैं और एक निश्चित अवधि के लिए निगरानी के तहत काम करने को तैयार हैं। यहां गौर करने वाली बात ये है कि हर राज्य में प्रैक्टिस को लेकर नियम अलग-अलग हैं।
उदाहरण के लिए टेनेसी में विदेशी स्तर पर ट्रेनिंग लेकर आए डॉक्टर्स और पहले से एक्सपीरियंस रखने वाले डॉक्टर्स को लाइसेंस के लिए आवेदन करने से पहले दो साल तक निगरानी में प्रैक्टिस करने की इजाजत है। कैटो इंस्टीट्यूट का कहना है कि फ्लोरिडा, वर्जीनिया और इडाहो में भी इसी तरह का नियम है, जो डॉक्टर्स को जल्द से जल्द मरीजों का इलाज करने और साथ ही निगरानी सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
कोलोराडो और आयोवा सहित अन्य राज्य विदेशी डॉक्टर्स को री-एंट्री या प्रतिबंधित लाइसेंस दे रहे हैं। ये कार्यक्रम विदेश में ट्रेंड डॉक्टर्स को प्रैक्टिस करने की इजाजत देते हैं, लेकिन अक्सर इनके दायरे पर सीमाएं होती हैं। कुछ राज्य लाइसेंस देने में फ्लेक्सिबल हैं, जबकि अन्य प्रैक्टिस का अधिकार देने से पहले कड़ी शर्तें लागू कर रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अमेरिका में बिना रेजिडेंसी के प्रैक्टिस किया जा सकता है।
Video
भारत के MBBS और अमेरिका के MD डिग्री की वैल्यू एक समान ही होती है। हालांकि, अमेरिका में इंटरनेशनल मेडिकल ग्रेजुएट्स (IMGs) यानी विदेशी मेडिकल डिग्री रखने वाले स्टूडेंट्स को प्रैक्टिस की तभी इजाजत मिलती है, जब उन्होंने अमेरिका में रेजिडेंसी प्रोग्राम पूरा किया हो। देश के बाकी राज्यों में भी प्रैक्टिस के लिए यही नियम लागू है। लेकिन अब यहां सवाल उठता है कि क्या भारत से MBBS करने वाले स्टूडेंट्स अमेरिका में बिना रेजिडेंसी का हिस्सा बने मेडिकल प्रैक्टिस कर सकते हैं? आइए इस सवाल का जवाब जानते हैं।
क्या बिना रेजिडेंसी कर सकते हैं US में प्रैक्टिस?
दरअसल, इन दिनों अमेरिका को डॉक्टर्स की कमी से जूझना पड़ रहा है। इस वजह से बहुत से राज्यों ने विदेशी डॉक्टर्स के लिए अपने दरवाजे खोले हैं, ताकि वे उनके यहां आकर बीमार लोगों का इलाज कर सकें। 'फेडरेशन ऑफ स्टेट मेडिकल बोर्ड्स' (FSMB) के मुताबिक, कम से कम 18 राज्यों ने अब लाइसेंसिंग प्रोग्राम बनाए हैं, जो कुछ IMGs को फुल रेजिडेंसी प्रोग्राम पूरा किए बिना ही प्रैक्टिस शुरू करने की इजाजत देते हैं।
एनपीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्लोरिडा, वर्जीनिया, विस्कॉन्सिन, इडाहो, मिनेसोटा और टेक्सास जैसे राज्य उन डॉक्टरों को अस्थायी लाइसेंस जारी कर रहे हैं, जिनके पास पहले से ही विदेश में प्रैक्टिस का लाइसेंस है। ये लाइसेंस तभी मिल रहा है, जब वे यूएस मेडिकल एग्जाम पास कर रहे हैं और एक निश्चित अवधि के लिए निगरानी के तहत काम करने को तैयार हैं। यहां गौर करने वाली बात ये है कि हर राज्य में प्रैक्टिस को लेकर नियम अलग-अलग हैं।
उदाहरण के लिए टेनेसी में विदेशी स्तर पर ट्रेनिंग लेकर आए डॉक्टर्स और पहले से एक्सपीरियंस रखने वाले डॉक्टर्स को लाइसेंस के लिए आवेदन करने से पहले दो साल तक निगरानी में प्रैक्टिस करने की इजाजत है। कैटो इंस्टीट्यूट का कहना है कि फ्लोरिडा, वर्जीनिया और इडाहो में भी इसी तरह का नियम है, जो डॉक्टर्स को जल्द से जल्द मरीजों का इलाज करने और साथ ही निगरानी सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
कोलोराडो और आयोवा सहित अन्य राज्य विदेशी डॉक्टर्स को री-एंट्री या प्रतिबंधित लाइसेंस दे रहे हैं। ये कार्यक्रम विदेश में ट्रेंड डॉक्टर्स को प्रैक्टिस करने की इजाजत देते हैं, लेकिन अक्सर इनके दायरे पर सीमाएं होती हैं। कुछ राज्य लाइसेंस देने में फ्लेक्सिबल हैं, जबकि अन्य प्रैक्टिस का अधिकार देने से पहले कड़ी शर्तें लागू कर रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अमेरिका में बिना रेजिडेंसी के प्रैक्टिस किया जा सकता है।
You may also like
चमकने वाली है इन राशियों की किस्मत, आज सुबह हो सकता है धन लाभ, लेकिन सावधान!
बादल फटने और भूस्खलन से निपटने की रणनीति तैयार की जा रही है : अमित शाह
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में 22 लाख के इनामी 4 हार्डकोर नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
एसीबी कोर्ट ने तीन आरोपितों को किया बरी
पेपर लीक मामले में दायर एफिडेविट पर हाई कोर्ट ने जतायी नाराजगी