दुनिया के सबसे मशहूर म्यूजियम में से एक पेरिस के लूव्र म्यूजियम (Louvre Museum) में 900 करोड़ के बेशकीमती गहनों की चोरी का मामला सामने आया है। दिनदहाड़े हुई इस चोरी को चोरों ने सिर्फ 7 मिनट में अंजाम दिया। इसके बाद से लूव्र में सालों से सुरक्षा की भारी लापरवाही का मुद्दा गरमा गया है। दरअसल फ्रांसीसी अखबार Libération की रिपोर्ट के मुताबिक इस म्यूजियम को कई सालों से सुरक्षा सिस्टम दुरुस्त करने को लेकर चेतावनियां दी जा रहीं थी। बावजूद इसके उन्हें नजरअंदाज किया गया। इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि म्यूजियम के कैमरों का सिक्योरिटी पासवर्ड भी “LOUVRE” था।
कमजोर पासवर्ड बना करोड़ों की चोरी की वजहफ्रांस की नेशनल एजेंसी फॉर द सिक्योरिटी ऑफ इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स ने साल 2014 में किए ऑडिट में बताया था कि लूव्र म्यूज़ियम के सर्वर तक कोई भी व्यक्ति आसानी से पहुंच सकता था। ऐसा इसलिए क्योंकि सिस्टम में बेहद कमजोर पासवर्ड जैसे “LOUVRE” और “THALES” इस्तेमाल किए जा रहे थे। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि अलार्म, वीडियो और एक्सेस कंट्रोल सिस्टम भी पुराने और असुरक्षित थे। एजेंसी ने म्यूजियम को इस बात की कई बार चेतावनी दी थी कि पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे कि विडोज 2000 को बदलना जरूरी है। बावजूद इसके म्यूजियम ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। 2025 में ही पेरिस पुलिस ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया था कि म्यूजियम के आईटी सिस्टम को मॉडर्न बनाने की जरूरत है लेकिन सालों से यह लापरवाही जारी रही।
थेल्स का पुराना सिस्टमसाल 2003 में थेल्स नाम की कंपनी ने “Sathi” नाम का एक सिस्टम तैयार किया था जो लूव्र के वीडियो सर्विलांस और एक्सेस कंट्रोल को संभालता था। 2019 में इस सिस्टम को ऑफिशियली आउटडेटेड घोषित कर दिया गया था। यह सिस्टम अभी तक विडोज सर्वर 2003 पर चल रहा है, जिसे 2015 के बाद खुद माइक्रोसॉफ्ट ने ही सपोर्ट करना बंद कर दिया था। 2025 में पेरिस पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया था कि लूव्र के आईटी सिस्टम फौरम मॉडर्न बनाने की जरूरत है लेकिन सालों से यह लापरवाही जारी रही थी।
अब उठ रहे गंभीर सवाल
900 करोड़ की इस चोरी ने म्यूजियम के सिक्योरिटी सिस्टम की सारी कमजोरियों को उजागर कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक चोरों ने म्यूजियम की दीवार को सीढ़ी लगाकर फांदा और इसके बाद एक खिड़की को तोड़ा। इसके बाद कुछ ही मिनटों में 9 कीमती शाही गहने, जिनमें हीरे से जड़ी टियारा भी शामिल थी, लेकर चोर फरार हो गए। अब घटना के बाद से सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इतने सालों से म्यूजियम की सिक्योरिटी को अपडेट क्यों नहीं किया जा रहा था?
कमजोर पासवर्ड बना करोड़ों की चोरी की वजहफ्रांस की नेशनल एजेंसी फॉर द सिक्योरिटी ऑफ इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स ने साल 2014 में किए ऑडिट में बताया था कि लूव्र म्यूज़ियम के सर्वर तक कोई भी व्यक्ति आसानी से पहुंच सकता था। ऐसा इसलिए क्योंकि सिस्टम में बेहद कमजोर पासवर्ड जैसे “LOUVRE” और “THALES” इस्तेमाल किए जा रहे थे। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि अलार्म, वीडियो और एक्सेस कंट्रोल सिस्टम भी पुराने और असुरक्षित थे। एजेंसी ने म्यूजियम को इस बात की कई बार चेतावनी दी थी कि पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे कि विडोज 2000 को बदलना जरूरी है। बावजूद इसके म्यूजियम ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। 2025 में ही पेरिस पुलिस ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया था कि म्यूजियम के आईटी सिस्टम को मॉडर्न बनाने की जरूरत है लेकिन सालों से यह लापरवाही जारी रही।
थेल्स का पुराना सिस्टमसाल 2003 में थेल्स नाम की कंपनी ने “Sathi” नाम का एक सिस्टम तैयार किया था जो लूव्र के वीडियो सर्विलांस और एक्सेस कंट्रोल को संभालता था। 2019 में इस सिस्टम को ऑफिशियली आउटडेटेड घोषित कर दिया गया था। यह सिस्टम अभी तक विडोज सर्वर 2003 पर चल रहा है, जिसे 2015 के बाद खुद माइक्रोसॉफ्ट ने ही सपोर्ट करना बंद कर दिया था। 2025 में पेरिस पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया था कि लूव्र के आईटी सिस्टम फौरम मॉडर्न बनाने की जरूरत है लेकिन सालों से यह लापरवाही जारी रही थी।
अब उठ रहे गंभीर सवाल
900 करोड़ की इस चोरी ने म्यूजियम के सिक्योरिटी सिस्टम की सारी कमजोरियों को उजागर कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक चोरों ने म्यूजियम की दीवार को सीढ़ी लगाकर फांदा और इसके बाद एक खिड़की को तोड़ा। इसके बाद कुछ ही मिनटों में 9 कीमती शाही गहने, जिनमें हीरे से जड़ी टियारा भी शामिल थी, लेकर चोर फरार हो गए। अब घटना के बाद से सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इतने सालों से म्यूजियम की सिक्योरिटी को अपडेट क्यों नहीं किया जा रहा था?
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