बता दें, अभी हैरान कर देने वाला एक वीडियो सामने आया, जिसमें एक बड़ी सी चील मंदिर के शिखर पर लहराते ध्वज को अपने पंजों में पकड़ कर उसके चारों ओर घूम रही है। ऐसा नजारा देखने के बाद लोगों की जुबान पर बस एक ही चीज है कि कहीं ये किसी अनहोनी का तो संकेत नहीं। खैर, इशारा कुछ भी हो, लेकिन मंदिर को लेकर कुछ और चीजें भी हैं, जो लोगों को हैरान करके रख देती हैं। चलिए आपको इस लेख में बताते हैं। (photo credit:wikimedia commons)
मंदिर में है भगवान का हृदय
माना जाता जाता है भगवान श्री कृष्ण ने अपने देह का त्याग इसी मंदिर में किया था और शरीर के एक हिस्से को छोड़ उनकी पूरी देह पांच तत्वों में विलीन हो गई थी। ये हिस्सा उनका हृदय था। माना जाता है मंदिर में रखे श्री कृष्ण के लकड़ी के देह में आज भी वो हृदय धड़क रहा है। (photo credit:unsplash.com)
समुद्र की लहरों की आती है आवाजें

मंदिर में जाने वाले भक्तों का कहना है कि मंदिर के सिंहद्वार में जाने पर जबतक अंदर कदम नहीं जाते, तो समुद्र की लहरों की आवाजें आती हैं, लेकिन जैसे ही कदम सिंहद्वार में पड़ते हैं, वैसे ही लहरों की आवाजें आनी बंद हो जाती हैं।
18 साल के लिए बंद हो जाएगा मंदिर
जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर जो झंडा लगा है कहते हैं वो झंडा हवा के विपरीत दिशा में उड़ता है। मान्यता है मंदिर का झंडा रोज बदल जाता है और अगर किसी दिन झंडा नहीं बदला गया, तो मंदिर 18 साल के लिए बंद कर दिया जाएगा। माना जाता है पुराना झंडा बुरी ऊर्जा को खींचता है, इसलिए उसे हटा दिया जाता है।
मंदिर की रसोई का रहस्य

मंदिर की रसोई से भी एक हैरान कर देने वाला रहस्य जुड़ा है। जगन्नाथ मंदिर में जो भी प्रसाद बनता है, वो सात मिट्टी के बर्तनों में भी बनाया जाता है और सातों बर्तनों को एक के ऊपर एक रखते हैं। हैरानी की बात ये है, सबसे पहले प्रसाद सातवें बर्तन में तैयार होता है और उसके बाद छठे, पांचवे, चौथे, तीसरे, दूसरे और फिर पहले में प्रसाद बनकर तैयार होता है।
चक्र की छाया है अदृश्य
जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र लगा हुआ है। जिसके बारे में कहते हैं कि उसे किसी भी दिशा से खड़े होकर देख सकते हैं, पर ऐसा लगता है चक्र का मुंह आपकी तरफ है। इसी तरह एक और रहस्य ये है मंदिर के शिखर की छाया हमेशा अदृश्य ही रहती है, उसे जमीन पर कोई नहीं देख पाता।
कैसे पहुंचे जगन्नाथ मंदिर
हवाई मार्ग से:पास का हवाई अड्डा: भुवनेश्वर हवाई अड्डा, जो पुरी से लगभग 60 किलोमीटर दूर है।वहां से आप टैक्सी या बस से सीधे पुरी जा सकते हैं।रेल मार्ग से:पुरी रेलवे स्टेशन देश के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है, जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद आदि।रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर लगभग 3-4 किलोमीटर दूर है। आप ऑटो, टैक्सी या रिक्शा ले सकते हैं।सड़क मार्ग से:पुरी सड़क मार्ग से भुवनेश्वर और अन्य शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।आप बस, टैक्सी या अपनी गाड़ी से भी आ सकते हैं।भुवनेश्वर से पुरी की दूरी लगभग 60 किमी है और वहां से बसें और टैक्सियां नियमित रूप से चलती हैं।डिस्क्लेमर :''इस लेख में बताई गई किसी भी जानकारी में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, यूजर्स इसे महज सूचना के रूप में ही लें।''
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