इस्लामाबाद: भारत के साथ युद्ध की आशंका की बीच पाकिस्तानी सेना की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टनेंट जनरल असीम मलिक को पाकिस्तान का नया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया गया है। इस फैसले के जरिए पाकिस्तानी सेना प्रमुख की पकड़ शहबाज शरीफ सरकार पर और मजबूत हो गई है। द प्रिंट ने खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया है कि यह नियुक्ति पाकिस्तानी सेना की भारत के साथ गुप्त कूटनीतिक चैनल को फिर से खोलने की कोशिश को दिखाती है। इसके पहले भारत और पाकिस्तान के बीच संकट के दौरान एनएसए ने युद्ध के करीब पहुंच चुके तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि, भारत की शिकायत रही है कि यह साफ नहीं है कि पाकिस्तान के एनएसए के पास सेना की ओर से बोलने का अधिकार है या नहीं। लेकिन इस बार सीधे किसी सेवारत खुफिया प्रमुख को ही नियुक्त किया जाना इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास है। नवाज शरीफ ने दिया था आइडियाद प्रिंट ने एक पाकिस्तानी राजनेता के हवाले से बताया है कि जनरल मलिक की नियुक्ति का विचार पीएमएल-एन नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की तरफ से आया था, जो उन्होंने अपने भाई वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ साझा किया था। नेता ने बताया कि नवाज शरीफ की कोशिश यह सुनिश्चित करना है कि 'पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व और सेना की तरफ से दिए गए संदेशों में कोई अंतर न हो।' पाकिस्तानी सेना चाहती है पूरा कंट्रोलरिपोर्ट में बताया गया है कि नवाज और शहबाज शरीफ के बीच 27 अप्रैल को मुलाकात हुई थी, जिसमें भारत के साथ युद्ध से बचने की रणनीति पर चर्चा हुई थी। हालांकि, इस नियुक्ति को विश्लेषक पाकिस्तानी सेना की बातचीत पर नियंत्रण की कोशिश के तौर पर देखते हैं। सामरिक मामलों की विशेषज्ञ आयशा सिद्दीका ने द प्रिंट से बातचीत में कहा कि यह बिल्कुल साफ है कि सेना भारत के साथ बातचीत पर पूरा नियंत्रण चाहती है और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इसे स्वीकार करने के लिए बहुत इच्छुक हैं। भारत के लिए क्यों अच्छी बात?आईएसआई चीफ जनरल मलिक का पाकिस्तान का एनएसए बनना भारत के लिए अच्छी खबर है। इस नियुक्ति से एक बात साफ होगी कि भविष्य में होने वाली किसी वार्ता में जनरल मलिक की तरफ से आए किसी प्रस्ताव के बारे में यह साफ होगा कि उसे पाकिस्तानी सेना का समर्थन है। हालांकि, यह भारत के साथ भविष्य की वार्ता में पाकिस्तान के प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व को भी पुष्ट करेगा।
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