अंकारा/नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के समय तुर्की ने पाकिस्तान की मदद के लिए अपना युद्धपोत कराची बंदरगाह पर भेज दिया था। लेकिन इसके बाद से भारतीय नौसेना लगातार तुर्की के खिलाफ आक्रामक अभियान चला रही है। शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद से तुर्की के पड़ोसी देशों के साथ भारतीय नौसेना लगातार युद्धाभ्यास कर रही है। तुर्की के तीनों पड़ोसी देशों ग्रीस, साइप्रस और आर्मेनिया, जिनका तुर्की से गंभीर विवाद चल रहा है, उन देशों के साथ भारत ने सैन्य संबंध मजबूत करने शुरू कर दिए हैं। भारत की आक्रामकता से लग रहा है कि मानो तुर्की को सबक सिखाया जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारतीय नौसेना का कोई ना कोई युद्धपोत लगातार तुर्की के करीबी समुद्र में मौजूद रहा है।
भारत के ऑपरेशन सिंदूर से ठीक पहले तुर्की ने हथियारों की खेप पाकिस्तान भेजी थी। पाकिस्तान ने तुर्की के बायरकतार टीबी-2 ड्रोन का भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया था। इसके बाद अब भारत ने तुर्की को उसी की भाषा में जवाब देना शुरू कर दिया है। ग्रीस, साइप्रस और आर्मेनिया... ये वो देश हैं जो ना सिर्फ तुर्की के पड़ोसी हैं, बल्कि इनका तुर्की के साथ छत्तीस का रिश्ता रहा है। ये तीनों ही देश तुर्की के जानी दुश्मन हैं और भारत, ठीक वही कर रहा है जैसा तुर्की ने पाकिस्तान को हथियारों की खेप पहुंचाकर भारत के साथ किया था।
तुर्की को कैसे सबक सिखा रहा है भारत?
तुर्की ने अतीत में भी पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान की है, जिसमें 1971 का भारत-पाक युद्ध भी शामिल है। इसके अलावा तुर्की ने पाकिस्तानी सैनिकों को भी ट्रेनिंग दिए हैं। इसके अलावा तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के भाषणों में बार बार कश्मीर का जिक्र किया है, जिसने भारत और तुर्की के रिश्ते को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा तुर्की, दक्षिण एशिया में भारत के विरोधियों से हाथ मिला रहा है, जिसमें पाकिस्तान के साथ साथ बांग्लादेश और मालदीव शामिल हैं। एर्दोगन ऐसा करके भारत की घेराबंदी करना चाहते हैं और भारत ने भी तुर्की के साथ ऐसा ही शुरू कर दिया है। रिपोर्ट तो यहां तक है कि भारत, ग्रीस को लंबी दूरी की मिसाइलें भी बेच सकता है।
एर्दोगन का अकल ठिकाने लगाने के लिए भारत तुर्की के तीन दुश्मनों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। इनमें आर्मेनिया सबसे ऊपर है। अजरबैजान और तुर्की से घिरे इस छोटे से देश ने पिछले कुछ वर्षों में अपने सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए भारत पर खूब भरोसा किया है। 2022 से अब तक आर्मेनिया भारत से आकाश-1एस एयर डिफेंस सिस्टम, पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम समेत कई अत्याधुनिक हथियार खरीद चुका है। हाल ही में आर्मेनिया ने भारत से तोप, एंटी-टैंक रॉकेट और एंटी-ड्रोन तकनीक की आपूर्ति के समझौते भी किए हैं। तुर्की जिस तरह अजरबैजान को सैन्य मदद देता है, उसके बरक्स आर्मेनिया का भारत पर भरोसा दोनों देशों की रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के नये रास्ते को खोलता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर दक्षिण कॉकस क्षेत्र में दोबारा युद्ध भड़कता है, तो जंग के मैदान पर भारतीय और तुर्की हथियार आमने-सामने दिख सकते हैं।
ग्रीस से तुर्की की कैसे घेराबंदी कर रहा भारत?
तुर्की के खिलाफ ग्रीस भारत का एक और बड़ा साथी बन गया है। ग्रीस और तुर्की के बीच दशकों से समुद्री सीमा और एयरस्पेस को लेकर विवाद रहा है। ग्रीस ने पहालगाम आतंकी हमले की खुलकर निंदा की थी और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया था। इसके बाद ग्रीक वायुसेना ने भारत से ऑपरेशन सिंदूर के कॉम्बैट डेटा और राफेल फाइटर जेट की ऑपरेशनल रणनीतियां साझा करने की अपील की थी। अगस्त 2025 में भारतीय फ्रिगेट INS TAMAL ने ग्रीक नेवी के जहाजों के साथ पैसेज एक्सरसाइज (PASSEX) किया जबकि सितंबर में INS Trikand ने हेलेनिक नेवी के साथ पहला द्विपक्षीय नौसैनिक युद्धाभ्यास किया है। इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय वायुसेना प्रमुख एपी सिंह के साथ साथ कई सैन्य अधिकारी ग्रीस का दौरा कर चुके हैं।
भारतीय नौसेना के युद्ध अभ्यासों में एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, नाइट बोर्डिंग ड्रिल्स और कोऑर्डिनेटेड गन फायरिंग शामिल रही हैं। खबरें हैं कि भारत ग्रीस को अपनी 1000–1500 किमी रेंज वाली लॉन्ग-रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल देने पर विचार कर रहा है, जो एजीयन क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदल सकती है। इस मिसाइल को रोकने की क्षमता दुनिया के किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम में नहीं है। तुर्की की मीडिया में पिछले दिनों भारत और ग्रीस के बीच इस मिसाइल समझौते को लेकर चिंता जताई गई थी और कहा गया था कि भारत ऐसे सिर्फ इसलिए कर रहा है, क्योंकि तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया था।
तुर्की के खिलाफ भारत का तीसरा हथियार- साइप्रस
साइप्रस और तुर्की के बीच 1980 के दशक से ही गंभीर विवाद है। साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर तुर्की ने 1983 के युद्ध में कब्जा कर लिया था। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जून 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस का ऐतिहासिक दौरा किया और ये 23 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। इस दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स के साथ भारत-साइप्रस साझेदारी की घोषणा करते हुए पांच वर्षीय कार्ययोजना पर हस्ताक्षर किए। मोदी को साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी दिया गया। दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा, आतंकवाद रोधी खुफिया साझेदारी, ड्रग्स और हथियार तस्करी के खिलाफ सहयोग तथा संयुक्त नौसैनिक अभ्यास पर सहमति जताई।
इसके बाद सितंबर 2025 में भारतीय युद्धपोत INS Trikand ने लिमासोल बंदरगाह पर साइप्रियट नेवी के साथ PASSEX सैन्य अभ्यास भी किया है, जिससे यह संदेश गया कि भारत अब पूर्वी भूमध्यसागर में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है। ग्रीस, साइप्रस और आर्मेनिया... ये तीनों तुर्की के दुश्मन हैं और तुर्की के नाक के नीचे इन देशों के साथ भारतीय नौसेना का युद्धाभ्यास का मतलब है कि भारत काफी आक्रामकता के साथ तुर्की की घेराबंदी कर रहा है। ग्रीस के पत्रकार पॉल एंटोनोपोलोस ने लिखा है कि "INS Trikand का भूमध्यसागर में आना इस बात का संकेत है कि भारत, ग्रीस और साइप्रस के साथ खड़ा हो गया है और तुर्की की उकसावे की रणनीति को चुनौती देने से पीछे नहीं हटेगा।"
भारत के ऑपरेशन सिंदूर से ठीक पहले तुर्की ने हथियारों की खेप पाकिस्तान भेजी थी। पाकिस्तान ने तुर्की के बायरकतार टीबी-2 ड्रोन का भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया था। इसके बाद अब भारत ने तुर्की को उसी की भाषा में जवाब देना शुरू कर दिया है। ग्रीस, साइप्रस और आर्मेनिया... ये वो देश हैं जो ना सिर्फ तुर्की के पड़ोसी हैं, बल्कि इनका तुर्की के साथ छत्तीस का रिश्ता रहा है। ये तीनों ही देश तुर्की के जानी दुश्मन हैं और भारत, ठीक वही कर रहा है जैसा तुर्की ने पाकिस्तान को हथियारों की खेप पहुंचाकर भारत के साथ किया था।
तुर्की को कैसे सबक सिखा रहा है भारत?
तुर्की ने अतीत में भी पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान की है, जिसमें 1971 का भारत-पाक युद्ध भी शामिल है। इसके अलावा तुर्की ने पाकिस्तानी सैनिकों को भी ट्रेनिंग दिए हैं। इसके अलावा तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के भाषणों में बार बार कश्मीर का जिक्र किया है, जिसने भारत और तुर्की के रिश्ते को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा तुर्की, दक्षिण एशिया में भारत के विरोधियों से हाथ मिला रहा है, जिसमें पाकिस्तान के साथ साथ बांग्लादेश और मालदीव शामिल हैं। एर्दोगन ऐसा करके भारत की घेराबंदी करना चाहते हैं और भारत ने भी तुर्की के साथ ऐसा ही शुरू कर दिया है। रिपोर्ट तो यहां तक है कि भारत, ग्रीस को लंबी दूरी की मिसाइलें भी बेच सकता है।
#INSTrikand called at Salamis Bay, #Greece on #13Sep 25 during her ongoing deployment to the Mediterranean Sea.
— SpokespersonNavy (@indiannavy) September 14, 2025
The ship will participate in the maiden bilateral maritime exercise between the #IndianNavy and the #HellenicNavy.
Harbour Phase - planning discussions, interactions… pic.twitter.com/Vce0AEHQSx
एर्दोगन का अकल ठिकाने लगाने के लिए भारत तुर्की के तीन दुश्मनों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। इनमें आर्मेनिया सबसे ऊपर है। अजरबैजान और तुर्की से घिरे इस छोटे से देश ने पिछले कुछ वर्षों में अपने सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए भारत पर खूब भरोसा किया है। 2022 से अब तक आर्मेनिया भारत से आकाश-1एस एयर डिफेंस सिस्टम, पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम समेत कई अत्याधुनिक हथियार खरीद चुका है। हाल ही में आर्मेनिया ने भारत से तोप, एंटी-टैंक रॉकेट और एंटी-ड्रोन तकनीक की आपूर्ति के समझौते भी किए हैं। तुर्की जिस तरह अजरबैजान को सैन्य मदद देता है, उसके बरक्स आर्मेनिया का भारत पर भरोसा दोनों देशों की रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के नये रास्ते को खोलता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर दक्षिण कॉकस क्षेत्र में दोबारा युद्ध भड़कता है, तो जंग के मैदान पर भारतीय और तुर्की हथियार आमने-सामने दिख सकते हैं।
ग्रीस से तुर्की की कैसे घेराबंदी कर रहा भारत?
तुर्की के खिलाफ ग्रीस भारत का एक और बड़ा साथी बन गया है। ग्रीस और तुर्की के बीच दशकों से समुद्री सीमा और एयरस्पेस को लेकर विवाद रहा है। ग्रीस ने पहालगाम आतंकी हमले की खुलकर निंदा की थी और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया था। इसके बाद ग्रीक वायुसेना ने भारत से ऑपरेशन सिंदूर के कॉम्बैट डेटा और राफेल फाइटर जेट की ऑपरेशनल रणनीतियां साझा करने की अपील की थी। अगस्त 2025 में भारतीय फ्रिगेट INS TAMAL ने ग्रीक नेवी के जहाजों के साथ पैसेज एक्सरसाइज (PASSEX) किया जबकि सितंबर में INS Trikand ने हेलेनिक नेवी के साथ पहला द्विपक्षीय नौसैनिक युद्धाभ्यास किया है। इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय वायुसेना प्रमुख एपी सिंह के साथ साथ कई सैन्य अधिकारी ग्रीस का दौरा कर चुके हैं।
#IndianNavy - #HellenicNavy Maiden bilateral maritime exercise concluded on #18Sep 25 in the Mediterranean Sea, marking a milestone in India-Greece defence cooperation.
— SpokespersonNavy (@indiannavy) September 20, 2025
Harbour phase (13-17 Sep) included cross-deck visits, professional exchanges, a pre-sail conference onboard… https://t.co/V7EpESU1z5 pic.twitter.com/Q6ZbhWwJoo
भारतीय नौसेना के युद्ध अभ्यासों में एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, नाइट बोर्डिंग ड्रिल्स और कोऑर्डिनेटेड गन फायरिंग शामिल रही हैं। खबरें हैं कि भारत ग्रीस को अपनी 1000–1500 किमी रेंज वाली लॉन्ग-रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल देने पर विचार कर रहा है, जो एजीयन क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदल सकती है। इस मिसाइल को रोकने की क्षमता दुनिया के किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम में नहीं है। तुर्की की मीडिया में पिछले दिनों भारत और ग्रीस के बीच इस मिसाइल समझौते को लेकर चिंता जताई गई थी और कहा गया था कि भारत ऐसे सिर्फ इसलिए कर रहा है, क्योंकि तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया था।
तुर्की के खिलाफ भारत का तीसरा हथियार- साइप्रस
साइप्रस और तुर्की के बीच 1980 के दशक से ही गंभीर विवाद है। साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर तुर्की ने 1983 के युद्ध में कब्जा कर लिया था। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जून 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस का ऐतिहासिक दौरा किया और ये 23 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। इस दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स के साथ भारत-साइप्रस साझेदारी की घोषणा करते हुए पांच वर्षीय कार्ययोजना पर हस्ताक्षर किए। मोदी को साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी दिया गया। दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा, आतंकवाद रोधी खुफिया साझेदारी, ड्रग्स और हथियार तस्करी के खिलाफ सहयोग तथा संयुक्त नौसैनिक अभ्यास पर सहमति जताई।
इसके बाद सितंबर 2025 में भारतीय युद्धपोत INS Trikand ने लिमासोल बंदरगाह पर साइप्रियट नेवी के साथ PASSEX सैन्य अभ्यास भी किया है, जिससे यह संदेश गया कि भारत अब पूर्वी भूमध्यसागर में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है। ग्रीस, साइप्रस और आर्मेनिया... ये तीनों तुर्की के दुश्मन हैं और तुर्की के नाक के नीचे इन देशों के साथ भारतीय नौसेना का युद्धाभ्यास का मतलब है कि भारत काफी आक्रामकता के साथ तुर्की की घेराबंदी कर रहा है। ग्रीस के पत्रकार पॉल एंटोनोपोलोस ने लिखा है कि "INS Trikand का भूमध्यसागर में आना इस बात का संकेत है कि भारत, ग्रीस और साइप्रस के साथ खड़ा हो गया है और तुर्की की उकसावे की रणनीति को चुनौती देने से पीछे नहीं हटेगा।"
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