इस्लामाबाद: पाकिस्तान में सेना ही देश को चलाती है और ऐसा दशकों से होता आया है। लेकिन असीम मुनीर ने पुरानी सारी परंपराओं को तोड़ते हुए पाकिस्तान पर सौ फीसदी अधिकार हासिल करने का प्लान तैयार कर लिया है। पाकिस्तान में 'कमांड ऑफ डिफेंस फोर्सेस' यानि CDF बनाया जाने वाला है, जो सेना प्रमुख को असीमित अधिकार देता है। CDF, पाकिस्तानी सेना, पाकिस्तानी नौसेना और पाकिस्तानी वायु सेना में ऑपरेशनल कमान को केंद्रीकृत करेगा।
पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन के माध्यम से पेश किया गया यह सुधार, संयुक्त चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) के अध्यक्ष की सलाहकार भूमिका को एक ऐसे पद से बदल देगा, जो संयुक्त अभियानों और रणनीतिक योजना पर सीधा अधिकार रखेगा। सीडीएफ सेना की सभी शाखाओं को एकीकृत करने, फैसला लेने की प्रक्रियाओं को एक ही आदमी के अधीन करके, सुरक्षा मुद्दों पर समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा। यानि, पाकिस्तान में सेना प्रमुख अपनी मर्जी से हर फैसले ले सकेगा और उसे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से सलाह मशविरे की भी जरूरत नहीं होगी।
पाकिस्तान में हर किसी से ऊपर होंगे असीम मुनीर
एक्सपर्ट्स का मानना है कि असीम मुनीर जो कर रहा है, उससे पाकिस्तान का सैन्य ढांचा पूरी तरह से तहस नहस हो जाएगा, क्योंकि उनके पास पाकिस्तान का आजीवन अधिकार रहेगा, मरते दम तक असीम मुनीर को कोई सैन्य प्रमुख के पद से नहीं हटा सकता है। यानि वो पाकिस्तान का हिटलर बन जाएगा। बहुत साधारण शब्दों में समझें तो इस संशोधन के बाद, अब तक सलाहकार भूमिका निभाने वाले चेयरमैन, जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी (CJCSC) का पद प्रभावी रूप से खत्म हो जाएगा और उसकी जगह CDF को सीधा अधिकार हासिल होगा। यानि, नया कमांडर सभी सैन्य शाखाओं के संयुक्त अभियानों, रणनीतिक योजना और सुरक्षा संचालन की एकीकृत निगरानी करेगा। साथ ही, एक नई स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड की भी स्थापना की जाएगी, जो परमाणु और अन्य रणनीतिक संपत्तियों की देखरेख CDF के अधीन करेगी।
शहबाज शरीफ की सरकार इस संविधान संशोधन को 'आधुनिक सैन्य ढांचे' के निर्माण के लिए जरूरी कदम बता रहा है, जैसा अमेरिका, कनाडा या कुछ नाटो देशों में है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे आर्मी चीफ के पास असीमित अधिकार आ जाएंगे। इसको लेकर सबसे ज्यादा विवाद इस बात को लेकर है कि CDF का पद, सिर्फ सेना प्रमुख के लिए आरक्षित होगा और ये पद सेना प्रमुख के लिए आजीवन रहेगा। यानि असीम मुनीर अब जब तक जिंदा रहेंगे, वो पाकिस्तान का कंट्रोल उनके हाथों रहेगा। इसका मतलब ये भी है कि अब नौसेना या वायुसेना के प्रमुख का भी कोई मतलब नहीं रहेगा। पाकिस्तान के कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस संशोधन के बाद आर्मी चीफ के फैसले को कोई चुनौती नहीं दे सकता है और इससे सैन्य नेतृत्व के भीतर शक्ति-संतुलन के टूटने का खतरा भी बढ़ेगा।
असीम मुनीर के पास पाकिस्तान का एकाधिकार
quwa ब्लॉग में लिखते हुए पाकिस्तान के मिलिट्री एक्सपर्ट बिलाल खान ने लिखा है कि इस संशोधन में यह साफ नहीं किया गया है कि क्या CDF के पास कोई स्थायी स्टाफ, मुख्यालय या औपचारिक योजना प्रक्रिया होगी या नहीं। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि यह पद किसी मजबूत संस्थान के बजाय एक व्यक्ति के ऊपर पूरी तरह से निर्भर हो जाएगा। यानि, असीम मुनीर के पास ही अधिकार होगा कि वो किसे प्रमोशन देते हैं, क्या सैन्य नीति बनाते हैं, किस तरह की रणनीति बनाते हैं और उनका फैसला ही सर्वमान्य होगा। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान को एक "जॉइंट सर्विसेज ऑफिस" जैसे संस्थान की जरूरत है, जो तीनों सेनाओं के बीच कॉर्डिनेशन स्थापित करे, न कि किसी एक आदमी के हाथ में सारे अधिकार दे दिए जाएं।
पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन के माध्यम से पेश किया गया यह सुधार, संयुक्त चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) के अध्यक्ष की सलाहकार भूमिका को एक ऐसे पद से बदल देगा, जो संयुक्त अभियानों और रणनीतिक योजना पर सीधा अधिकार रखेगा। सीडीएफ सेना की सभी शाखाओं को एकीकृत करने, फैसला लेने की प्रक्रियाओं को एक ही आदमी के अधीन करके, सुरक्षा मुद्दों पर समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा। यानि, पाकिस्तान में सेना प्रमुख अपनी मर्जी से हर फैसले ले सकेगा और उसे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से सलाह मशविरे की भी जरूरत नहीं होगी।
पाकिस्तान में हर किसी से ऊपर होंगे असीम मुनीर
एक्सपर्ट्स का मानना है कि असीम मुनीर जो कर रहा है, उससे पाकिस्तान का सैन्य ढांचा पूरी तरह से तहस नहस हो जाएगा, क्योंकि उनके पास पाकिस्तान का आजीवन अधिकार रहेगा, मरते दम तक असीम मुनीर को कोई सैन्य प्रमुख के पद से नहीं हटा सकता है। यानि वो पाकिस्तान का हिटलर बन जाएगा। बहुत साधारण शब्दों में समझें तो इस संशोधन के बाद, अब तक सलाहकार भूमिका निभाने वाले चेयरमैन, जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी (CJCSC) का पद प्रभावी रूप से खत्म हो जाएगा और उसकी जगह CDF को सीधा अधिकार हासिल होगा। यानि, नया कमांडर सभी सैन्य शाखाओं के संयुक्त अभियानों, रणनीतिक योजना और सुरक्षा संचालन की एकीकृत निगरानी करेगा। साथ ही, एक नई स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड की भी स्थापना की जाएगी, जो परमाणु और अन्य रणनीतिक संपत्तियों की देखरेख CDF के अधीन करेगी।
शहबाज शरीफ की सरकार इस संविधान संशोधन को 'आधुनिक सैन्य ढांचे' के निर्माण के लिए जरूरी कदम बता रहा है, जैसा अमेरिका, कनाडा या कुछ नाटो देशों में है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे आर्मी चीफ के पास असीमित अधिकार आ जाएंगे। इसको लेकर सबसे ज्यादा विवाद इस बात को लेकर है कि CDF का पद, सिर्फ सेना प्रमुख के लिए आरक्षित होगा और ये पद सेना प्रमुख के लिए आजीवन रहेगा। यानि असीम मुनीर अब जब तक जिंदा रहेंगे, वो पाकिस्तान का कंट्रोल उनके हाथों रहेगा। इसका मतलब ये भी है कि अब नौसेना या वायुसेना के प्रमुख का भी कोई मतलब नहीं रहेगा। पाकिस्तान के कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस संशोधन के बाद आर्मी चीफ के फैसले को कोई चुनौती नहीं दे सकता है और इससे सैन्य नेतृत्व के भीतर शक्ति-संतुलन के टूटने का खतरा भी बढ़ेगा।
असीम मुनीर के पास पाकिस्तान का एकाधिकार
quwa ब्लॉग में लिखते हुए पाकिस्तान के मिलिट्री एक्सपर्ट बिलाल खान ने लिखा है कि इस संशोधन में यह साफ नहीं किया गया है कि क्या CDF के पास कोई स्थायी स्टाफ, मुख्यालय या औपचारिक योजना प्रक्रिया होगी या नहीं। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि यह पद किसी मजबूत संस्थान के बजाय एक व्यक्ति के ऊपर पूरी तरह से निर्भर हो जाएगा। यानि, असीम मुनीर के पास ही अधिकार होगा कि वो किसे प्रमोशन देते हैं, क्या सैन्य नीति बनाते हैं, किस तरह की रणनीति बनाते हैं और उनका फैसला ही सर्वमान्य होगा। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान को एक "जॉइंट सर्विसेज ऑफिस" जैसे संस्थान की जरूरत है, जो तीनों सेनाओं के बीच कॉर्डिनेशन स्थापित करे, न कि किसी एक आदमी के हाथ में सारे अधिकार दे दिए जाएं।
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