पेरिस: भारत फ्रांस से इंडियन नेवी के लिए 26 राफेल मरीन फाइटर जेट खरीद रहा है। इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने भी 114 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए रक्षा मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है। यानि, भारत राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी पर काफी भरोसा कर रहा है। लेकिन क्या फ्रांस, पैसों के लिए भारत के भरोसे से खिलवाड़ कर रहा है? क्या फ्रांस का 'लालच' पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय वायुसेना के एयर एडवांटेज पर असर डाल रहा है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि फ्रांस ने दो ऐसे देशों को राफेल बेचने का फैसला किया है, जिसके पाकिस्तान और चीन से गहरे रिश्ते रहे हैं।
दरअसल, फ्रांस ने कतर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ राफेल फाइटर जेट का सौदा किया हुआ है। जिसने डिफेंस एक्सपर्ट्स की चिंताएं बढ़ा दी हैं। चिंता इसलिए, क्योंकि रिपोर्ट है कि कतर और यूएई ने पाकिस्तान और तुर्की के पायलटों को अपने राफेल और मिराज फाइटर जेट पर ट्रेनिंग करने की इजाजत दे दी है। जाहिर सी बात है, अगर पाकिस्तान और तुर्की के पायलट राफेल फाइटर जेट से ट्रेनिंग करेंगे तो वो राफेल के उस राज को जान सकते हैं, जिसे सिर्फ भारतीय वायुसेना के पायलटों को होना चाहिए। अगर पाकिस्तानी पायलट राफेल उड़ाते हैं तो इस फाइटर जेट की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमता के बारे में वो जान सकते हैं।
राफेल फाइटर जेट पर भारत को भरोसा
यूरोप के प्रमुख डिफेंस एक्सपर्ट बाबाक तगवाई ने फ्रांस की 'लापरवाह' राफेल एक्सपोर्ट नीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने फ्रांस की इस पॉलिसी को भारत के साथ साथ यूरोप और नाटो के लिए भी खतरा बताया है, क्योंकि पाकिस्तान के पास राफेल की जानकारी होने का मतलब चीन के पास भी वो जानकारी होना है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि "मैंक्रो प्रशासन बगैर किसी कंट्रोल के राफेल सौदा कर रहा है और अनजाने में ही नाटो विरोधियों को मजबूत कर रहा है।" उनका कहना है कि "तुर्की और कतर के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है, क्योंकि तुर्की अब उन्हीं राफेल विमानों की सहायता से अपनी F-16 और S-400 इकाइयों को ग्रीस के खिलाफ तैयार कर रहा है, जो कतर ने खरीदे थे। पिछले दिनों कतर ने तुर्की में अपने 6 राफेल फाइटर जेट भेजे थे।"
चीन को मिराज का डेटा दे चुका है UAE
अगर आपको लगता है कि डेटा ट्रांसफर नहीं हो सकता है तो ये आपका भ्रम हो सकता है। यूएई ने पहले भी मिराज 2000-9EAD लड़ाकू विमान की टेक्नोलॉजी और MICA मिसाइल का डेटा चीन को ट्रांसफर किया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस डेटा के आधार पर चीन ने अपने PL-10 और PL-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की क्षमता में जबरदस्त इजाफा किया। 2023-2024 के दौरान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स के साथ द्विपक्षीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान यूएई के मिराज लड़ाकू विमानों को भी चीन में देखा गया था। इसीलिए रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि कतर और यूएई अगर राफेल की जानकारी पाकिस्तान या तुर्की को सौंप देते हैं तो फिर भारत की राफेल फाइटर जेट की गोपनीयता पर गंभीर असर पड़ेगा।
हालांकि भारत ने हमेशा ये सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि उसकी सैन्य संपत्तियों से जुड़ी तकनीकें बाहरी हाथों में ना जाएं। लेकिन अमेरिका की तुलना में फ्रांस की हथियारों की एक्सपर्ट पॉलिसी काफी नरम मानी जाती हैं। फ्रांस अपने हथियार ग्राहकों को काफी स्वतंत्रता देता है और इसी वजह से उसने अमेरिकी F-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने से भी इनकार कर दिया था। इसीलिए अगर राफेल लड़ाकू विमान की इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमताएं या रडार सिग्नेचर डेटा पाकिस्तान या तुर्की जैसे देशों के हाथ लगता है, तो भारत पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है।
दरअसल, फ्रांस ने कतर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ राफेल फाइटर जेट का सौदा किया हुआ है। जिसने डिफेंस एक्सपर्ट्स की चिंताएं बढ़ा दी हैं। चिंता इसलिए, क्योंकि रिपोर्ट है कि कतर और यूएई ने पाकिस्तान और तुर्की के पायलटों को अपने राफेल और मिराज फाइटर जेट पर ट्रेनिंग करने की इजाजत दे दी है। जाहिर सी बात है, अगर पाकिस्तान और तुर्की के पायलट राफेल फाइटर जेट से ट्रेनिंग करेंगे तो वो राफेल के उस राज को जान सकते हैं, जिसे सिर्फ भारतीय वायुसेना के पायलटों को होना चाहिए। अगर पाकिस्तानी पायलट राफेल उड़ाते हैं तो इस फाइटर जेट की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमता के बारे में वो जान सकते हैं।
राफेल फाइटर जेट पर भारत को भरोसा
यूरोप के प्रमुख डिफेंस एक्सपर्ट बाबाक तगवाई ने फ्रांस की 'लापरवाह' राफेल एक्सपोर्ट नीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने फ्रांस की इस पॉलिसी को भारत के साथ साथ यूरोप और नाटो के लिए भी खतरा बताया है, क्योंकि पाकिस्तान के पास राफेल की जानकारी होने का मतलब चीन के पास भी वो जानकारी होना है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि "मैंक्रो प्रशासन बगैर किसी कंट्रोल के राफेल सौदा कर रहा है और अनजाने में ही नाटो विरोधियों को मजबूत कर रहा है।" उनका कहना है कि "तुर्की और कतर के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है, क्योंकि तुर्की अब उन्हीं राफेल विमानों की सहायता से अपनी F-16 और S-400 इकाइयों को ग्रीस के खिलाफ तैयार कर रहा है, जो कतर ने खरीदे थे। पिछले दिनों कतर ने तुर्की में अपने 6 राफेल फाइटर जेट भेजे थे।"
चीन को मिराज का डेटा दे चुका है UAE
अगर आपको लगता है कि डेटा ट्रांसफर नहीं हो सकता है तो ये आपका भ्रम हो सकता है। यूएई ने पहले भी मिराज 2000-9EAD लड़ाकू विमान की टेक्नोलॉजी और MICA मिसाइल का डेटा चीन को ट्रांसफर किया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस डेटा के आधार पर चीन ने अपने PL-10 और PL-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की क्षमता में जबरदस्त इजाफा किया। 2023-2024 के दौरान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स के साथ द्विपक्षीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान यूएई के मिराज लड़ाकू विमानों को भी चीन में देखा गया था। इसीलिए रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि कतर और यूएई अगर राफेल की जानकारी पाकिस्तान या तुर्की को सौंप देते हैं तो फिर भारत की राफेल फाइटर जेट की गोपनीयता पर गंभीर असर पड़ेगा।
हालांकि भारत ने हमेशा ये सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि उसकी सैन्य संपत्तियों से जुड़ी तकनीकें बाहरी हाथों में ना जाएं। लेकिन अमेरिका की तुलना में फ्रांस की हथियारों की एक्सपर्ट पॉलिसी काफी नरम मानी जाती हैं। फ्रांस अपने हथियार ग्राहकों को काफी स्वतंत्रता देता है और इसी वजह से उसने अमेरिकी F-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने से भी इनकार कर दिया था। इसीलिए अगर राफेल लड़ाकू विमान की इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमताएं या रडार सिग्नेचर डेटा पाकिस्तान या तुर्की जैसे देशों के हाथ लगता है, तो भारत पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है।
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