News India live, Digital Desk: प्रॉपर्टी की लगातार बढ़ती कीमतों के साथ-साथ अवैध कब्जों के मामलों में भी तेजी देखी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ऐसे मामलों पर एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए स्पष्ट किया है कि अगर आपकी संपत्ति पर कोई अवैध रूप से कब्जा कर लेता है, तो उसे छुड़ाने के लिए आपको हमेशा कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश‘पूना राम बनाम मोती राम’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि यदि आप संपत्ति के वास्तविक मालिक हैं और आपके पास उसका कानूनी टाइटल है, तो आप बलपूर्वक ही अपनी संपत्ति से अवैध कब्जा हटा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इसके लिए आपको कोर्ट में केस दायर करने की आवश्यकता नहीं है, बशर्ते कि आपके पास संपत्ति का स्पष्ट टाइटल हो।
स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 का महत्वस्पेसिफिक रिलीफ एक्ट, 1963 की धारा 5 के तहत आपको अपनी संपत्ति से गैर-कानूनी कब्जा हटाने का अधिकार प्राप्त है। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति विवाद के मामलों में पीड़ित पक्ष को सबसे पहले कब्जेदार के विरुद्ध स्टे लेना चाहिए, ताकि कब्जा करने वाला व्यक्ति उस संपत्ति पर निर्माण न कर सके और न ही उसे बेच सके।
12 साल बाद भी नहीं होती कब्जे की मान्यताइस मामले में मोती राम ने तर्क दिया था कि वह जमीन पर 12 साल से अधिक समय से कब्जा किए हुए है, इसलिए लिमिटेशन एक्ट की धारा 64 के अनुसार उससे कब्जा खाली नहीं कराया जा सकता। कोर्ट ने मोती राम के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि यह प्रावधान केवल उन्हीं मामलों पर लागू होता है, जहां जमीन का कोई कानूनी मालिक न हो। यदि संपत्ति का स्पष्ट कानूनी मालिक मौजूद है, तो वह 12 साल के बाद भी बलपूर्वक कब्जा खाली करा सकता है।
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