किसी अपार्टमेंट या फ्लैट में रहने वाले लोगों के लिए एक सबसे बड़ा सिरदर्द और लड़ाई की वजह होती है - छत और कॉमन एरिया पर हक को लेकर। कभी कोई छत पर ताला लगा देता है,तो कोई उसे अपनी निजी संपत्ति समझकर इस्तेमाल करने लगता है।लेकिन अब,दिल्ली हाईकोर्ट ने इस रोज-रोज के झगड़े पर एक ऐसा बड़ा और स्पष्ट फैसला सुनाया है,जो न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश के लाखों फ्लैट निवासियों की जिंदगी पर सीधा असर डालेगा।कोर्ट ने क्या कहा? (बिल्डर की चालाकी अब नहीं चलेगी)कोर्ट ने साफ-साफ कह दिया है कि:किसी भी अपार्टमेंट बिल्डिंग कीछत,सीढ़ियां,लिफ्ट,लॉबी,बगीचा और रास्तेजैसी कॉमन जगहों को बिल्डरबेच नहीं सकता।इन सभी जगहों पर उस बिल्डिंग में रहने वालेसभी फ्लैट मालिकों का बराबर और अविभाजित (undivided)हकहोता है।मामला क्या था?यह मामला तब सामने आया जब एक बिल्डर ने एक अपार्टमेंट की पूरी छत का अधिकार किसी एक फ्लैट मालिक को बेच दिया था। उस मालिक ने छत पर ताला लगा दिया और दूसरों को वहां आने-जाने से रोक दिया। बाकी निवासियों ने जब इसका विरोध किया तो मामला कोर्ट तक पहुंच गया।क्यों है यह फैसला इतना बड़ा और जरूरी?आपसे कोई आपकी छत नहीं छीन सकता:इस फैसले का सबसे सीधा मतलब है कि अब कोई भी एक व्यक्ति या बिल्डर आपसे आपकी छत का अधिकार नहीं छीन सकता। हर फ्लैट मालिक को छत और दूसरी कॉमन जगहों का इस्तेमाल करने का पूरा-पूरा हक है।RWA (रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन) का रोल हुआ अहम:कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि इन कॉमन एरिया के रखरखाव और देखभाल की जिम्मेदारी उस अपार्टमेंट कीRWAकी होगी,न कि किसी एक मालिक की।पूरे देश के लिए बना एक उदाहरण:हालांकि यह फैसला दिल्ली हाईकोर्ट का है,लेकिन यह पूरे देश के लिए एक नजीर बन गया है। अब किसी भी शहर में कोई भी बिल्डर या व्यक्ति ऐसी मनमानी नहीं कर पाएगा।यह फैसला उन लाखों फ्लैट मालिकों की जीत है जो अक्सर बिल्डरों की चालाकी या किसी एक दबंग पड़ोसी की मनमानी का शिकार होते आए हैं। अब छत पर शाम की हवा खाने या बच्चों को खेलने भेजने के आपके हक को कोई नहीं छीन सकता।
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