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पाकिस्तान छोड़कर भारत आए 60 हिंदू अभी भी नागरिकता का इंतजार कर रहे

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मुंबई, – कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा हिंदू पर्यटकों पर गोली चलाने की घटना के संदर्भ में कोल्हापुर में रहने वाले पाकिस्तानी मूल के हिंदुओं ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार को पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए ताकि वह भविष्य में ऐसी हरकतें करना भूल जाए।

पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों से बचने के लिए चार दशक पहले सिंध प्रांत से भारत आकर 60 लोग महाराष्ट्र के कोल्हापुर में बस गए हैं। वे लंबे समय से भारतीय नागरिकता पाने का इंतजार कर रहे हैं। इनमें 32 पुरुष और 28 महिलाएं शामिल हैं।

कोल्हापुर के गांधीनगर में रहने वाली सावित्री कुमारी काशेला 30 साल पहले अपने परिवार के साथ पाकिस्तान के सिंध से भारत आई थीं। उन्होंने कहा कि भले ही मेरा जन्म पाकिस्तान में हुआ, लेकिन मेरे रिश्तेदार भारत में हैं। हमारे धार्मिक स्थल भारत में हैं। क्या हमारे पूर्वज केवल भारत में ही रहते थे? इसी कारण हमारे जैसे कई सिंधी और हिंदू पाकिस्तान छोड़कर भारत आना चाहते हैं।

कमलेश कुमार आडवाणी वर्तमान में 53 वर्ष के हैं। जब वह 11 वर्ष के थे तब वह अपने परिवार के साथ सिंध से भारत आये थे। अनीता कुमारी और सुनीता कुमारी मोटवानी, दोनों बहनें गांधीनगर, कोल्हापुर की हैं, जो 1991 में पाकिस्तान से भारत आईं और कोल्हापुर में बस गईं। तारारानी चौक में रहने वाले बुजुर्ग अशोक कुमार सचदेव 50 साल पाकिस्तान में बिताने के बाद 2004 में कोल्हापुर आए थे।

मुस्लिम देशों में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को भारत आकर बसने पर भारतीय नागरिकता प्रदान की जाने लगी है। पाकिस्तान से आये हिंदुओं को राजकोट, गुजरात के साथ-साथ देश के अन्य भागों में भी बसाया गया है और उन्हें नागरिकता भी प्रदान की गई है। इसलिए कोल्हापुर में रहने वाले पाकिस्तानी मूल के हिंदुओं को उम्मीद है कि उन्हें भी नागरिकता प्रदान की जाएगी।

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