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राजस्थान का चमत्कारी गणेश धाम: जहां 9 फीट के गजानन को चढ़ता है 200 किलो मोदक और पहली बुलावा भेजते हैं दूल्हे-दुल्हन!

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राजस्थान के नागौर जिले के डीडवाना कस्बे में स्थित दोजराज गणेश मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि मान्यताओं और परंपराओं का भी एक अनोखा संगम है। यहां भगवान गणेश की एक भव्य और विशाल 9 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है, जो राजस्थान की सबसे बड़ी गणेश प्रतिमाओं में गिनी जाती है।

इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि कोई भी शुभ कार्य — विशेषकर शादी — करने से पहले यहां गणपति बप्पा को पहला निमंत्रण भेजा जाता है। यही नहीं, यहां केवल हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम समाज के लोग भी अपने विवाह के कार्ड लेकर आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं।

⚫ कैसे हुई गणेश प्रतिमा की स्थापना?

मंदिर के पुजारी रामअवतार दधीच बताते हैं कि यह मंदिर लगभग 160 वर्ष पुराना है। उस समय निरंजनी संप्रदाय के संत माता मंदिर की यात्रा पर थे। रास्ते में दुंदराज नामक एक साधु ने मिट्टी, मटकी और मुरड़ से एक विशाल गणेश प्रतिमा बनाई। जब यह बात स्थानीय लोगों तक पहुंची तो उन्होंने उस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करवाई और यहीं पर मंदिर की स्थापना हुई।

⚫ मंदिर परिसर की खासियत
  • गणेश जी की प्रतिमा के साथ रिद्धि और सिद्धि की मूर्तियां भी विराजमान हैं।
  • परिसर में एक ओर बालाजी और दूसरी ओर राम दरबार की मूर्तियां स्थापित हैं।
  • प्रतिमा के पास नाग देवता का स्थान है।
  • मंदिर के मुख्य भाग में शेरों और तोतों की मूर्तियां भी हैं — जो इसे अन्य गणेश मंदिरों से अलग बनाती हैं।
⚫ गणेश चतुर्थी पर 200 किलो मोदक का भोग

हर वर्ष गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर इस मंदिर में विशेष भव्य आयोजन होता है। हजारों श्रद्धालु डीडवाना और आस-पास के क्षेत्रों से यहां दर्शन को आते हैं। इस अवसर पर भगवान गणेश को 200 किलो वजनी मोदक का भोग अर्पित किया जाता है, और पूरे दिन वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है।

⚫ सामाजिक योगदान और पर्यावरण संरक्षण

यह मंदिर न केवल धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय है, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभा रहा है। मंदिर ट्रस्ट द्वारा तुलसी, पीपल और औषधीय पौधों का वितरण किया जाता है। साथ ही, स्थानीय लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक भी किया जाता है।

⚫ क्यों है यह मंदिर विशेष?
  • राजस्थान की सबसे ऊंची गणेश प्रतिमा
  • धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर आस्था का प्रतीक
  • विवाह से पहले पहला निमंत्रण देने की परंपरा
  • गणेश चतुर्थी पर 200 किलो का मोदक भोग
  • मंदिर परिसर में शेर और तोते की दुर्लभ मूर्तियां

दोजराज गणेश मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि शक्ति, श्रद्धा और समरसता का प्रतीक है। यहां हर जाति, धर्म और क्षेत्र के लोग एक साथ मिलकर भगवान गणेश के चरणों में शीश झुकाते हैं। अगर आप भी राजस्थान की यात्रा पर हैं, तो इस चमत्कारी मंदिर के दर्शन ज़रूर करें और अपने जीवन के हर शुभ कार्य की शुरुआत गणपति बप्पा के आशीर्वाद से करें।

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