मातृत्व का सफ़र हमेशा से महिलाओं के लिए एक भावनात्मक और संवेदनशील मुद्दा रहा है। माँ बनना, अपनी गोद में अपने किसी अंग को देखना आज भी हर महिला के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है, लेकिन कई बार करियर की भागदौड़, पारिवारिक ज़िम्मेदारियों या सही साथी न मिलने और समय की कमी के कारण यह सपना पूरा नहीं हो पाता, और मातृत्व के उनके सपनों को चुनौती देता है। यहीं पर एग फ़्रीज़िंग का चलन सामने आता है। एक आधुनिक उपाय जो महिलाओं को अपने सपनों को ज़िंदा रखने का मौका देता है।
भारत में एग फ़्रीज़िंग का चलन बढ़ा
हाल के वर्षों में, भारत में एग फ़्रीज़िंग का चलन काफ़ी लोकप्रिय हुआ है। एग फ़्रीज़िंग को मेडिकल भाषा में ओसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन कहा जाता है, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिलाएं अपने अंडों को भविष्य के लिए सुरक्षित रख सकती हैं, ताकि जब वे तैयार हों, तो माँ बनने के अपने सपने को पूरा कर सकें। यह तकनीक न केवल करियर और मातृत्व के बीच संतुलन बनाने में मदद करती है, बल्कि महिलाओं को बिना किसी बंधन और जल्दबाज़ी के, अपनी मर्ज़ी से माँ बनने का अधिकार भी देती है।
एग फ़्रीज़िंग की प्रक्रिया आसान होती जा रही है
पिछले पाँच सालों में भारत में एग फ़्रीज़िंग की माँग में काफ़ी वृद्धि हुई है। भारत में स्थापित एक प्रमुख प्रजनन क्लिनिक, एग प्रिजर्वेशन इंस्टीट्यूट ऑफ एशिया (EIPA) ने हाल ही में घर पर ही एग फ्रीजिंग की सुविधा शुरू की है। इस सेवा के माध्यम से, लगभग पूरी एग फ्रीजिंग प्रक्रिया घर पर ही गोपनीयता और आसानी से की जा सकती है।
महिलाएँ एग फ्रीज क्यों करवा रही हैं?
एग फ्रीजिंग का विकल्प महिलाओं को स्वतंत्रता देता है और उन्हें अपनी इच्छानुसार बच्चे पैदा करने का अधिकार देता है। शिक्षा की बढ़ती लागत और करियर के दबाव के कारण, आजकल ज़्यादातर जोड़े देर से और अपने करियर में सेटल होने के बाद ही माता-पिता बनने की योजना बना रहे हैं ताकि बच्चे के जन्म से पहले वे आर्थिक रूप से मज़बूत हो सकें। ओसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन, महिला की प्रजनन क्षमता, स्वास्थ्य समस्याओं, रजोनिवृत्ति या जीवनशैली से प्रभावित हुए बिना अंडों को संरक्षित करने में मदद करता है, जिसके बाद वह इन अंडों का उपयोग इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के माध्यम से माँ बनने के लिए कर सकती है।
एग फ्रीजिंग कब करवानी चाहिए?
एग फ्रीजिंग के बारे में बात करते हुए, दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की वरिष्ठ सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम सूरी 'आजतक.इन' को बताती हैं कि भारत समेत पूरी दुनिया में महिलाओं की प्रजनन क्षमता पहले से ही कम हो गई है। वहीं, 30-35 साल के बाद महिलाओं के अंडों की संख्या और गुणवत्ता में तेज़ी से गिरावट आती है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। इसी वजह से अब महिलाएं अपने अंडों को लैब में फ्रीज करवा रही हैं ताकि बाद में शादी या बच्चे की प्लानिंग के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सके।
एग फ्रीजिंग कैसे की जाती है?
हाल ही में, अमेरिका के ओहायो में 30 साल पुराने फ्रोजन अंडे से एक पूरी तरह स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ। इस बारे में डॉ. नीलम का कहना है कि एग फ्रीजिंग एक सुरक्षित प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाशय से अंडे निकालकर -196 डिग्री सेल्सियस पर फ्रीज कर दिए जाते हैं, जो 20 साल तक सुरक्षित रहते हैं। कैंसर जैसी बीमारियों में भी महिलाओं के लिए एग फ्रीजिंग ज़रूरी है क्योंकि रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी से अंडे नष्ट हो सकते हैं।
एग फ्रीजिंग की सफलता दर क्या है?
इस सवाल के जवाब में डॉ. नीलम ने कहा, 'गर्भावस्था की सफलता मुख्य रूप से अंडे की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। 35 साल से पहले अंडे फ्रीज करने की सफलता दर लगभग 60-70% होती है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ यह कम होती जाती है। इसलिए, जितनी जल्दी अंडे फ्रीजिंग करवाई जाए, उतना ही बेहतर है। ज़्यादातर मामलों में, यह 20-30 साल की उम्र के बीच करवाना चाहिए।'
क्या कोई भी महिला अंडे फ्रीजिंग करवा सकती है?
डॉ. नीलम ने बताया कि भारत में अंडे फ्रीजिंग कानूनी रूप से मान्य है और यह महिला के अपने शरीर की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है। इसलिए, कोई भी इसे करवा सकता है। हालाँकि, इसके लिए चिकित्सकीय सलाह ज़रूरी है, खासकर अगर महिला को कोई गंभीर बीमारी हो या उसकी प्रजनन क्षमता कम हो रही हो। अंडे फ्रीजिंग का फैसला महिला के व्यक्तिगत कारणों और चिकित्सीय संकेतकों पर आधारित होता है।
अंत में, वह कहती हैं कि अंडों को फ्रीज करने के बाद, भ्रूण में किसी भी आनुवंशिक समस्या को रोकने के लिए पीजीडी (प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस) करवाना चाहिए ताकि एक स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सके। एग फ्रीजिंग एक सुरक्षित और प्रभावी तकनीक है। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनकी शादी सही साथी न मिलने के कारण देर से हो रही है, जो अपने करियर पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, या किसी मेडिकल समस्या से जूझ रहे हैं।
महिलाओं में सीमित अंडों के साथ जन्म होता है
लखनऊ में सीके बिड़ला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ की सेंटर हेड डॉ. श्रेया गुप्ता कहती हैं कि पुरुषों के विपरीत, महिलाओं में जीवन भर अंडे नहीं बनते। महिलाओं में पहले से ही अंडों की एक निश्चित संख्या होती है, जो जन्म के समय सबसे ज़्यादा होती है, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, उनकी संख्या और गुणवत्ता कम होती जाती है। उदाहरण के लिए, 30 के बाद बड़ी संख्या में अंडे नष्ट हो जाते हैं और 37 साल की उम्र तक यह लगभग 90% कम हो जाता है। इसी वजह से भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में एग फ्रीजिंग की मांग बढ़ गई है।
इन बीमारियों के इलाज से पहले एग फ्रीजिंग करवानी चाहिए
ऑटोइम्यून और कैंसर जैसी कई बीमारियों के इलाज से पहले भी एग फ्रीज किए जा सकते हैं क्योंकि कैंसर की दवाएं एग को नुकसान पहुँचा सकती हैं। आज के समय में, एग को 10 से 15 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। हालाँकि, एग स्पर्म या भ्रूण की तुलना में कम समय तक सुरक्षित रह सकता है। कुछ महिलाओं को 50 की उम्र के बाद भी पीरियड्स होते हैं, लेकिन वह ब्लीडिंग आमतौर पर ओव्यूलेशन के कारण नहीं, बल्कि कई अन्य कारणों से होती है। इसलिए, सिर्फ़ पीरियड्स होना ही महिला की प्रजनन क्षमता के ठीक होने का प्रमाण नहीं है। 40 की उम्र के बाद, प्राकृतिक गर्भधारण की संभावनाएँ बहुत कम हो जाती हैं और अगर गर्भधारण होता भी है, तो वह ज़्यादातर सहायक प्रजनन तकनीक (ART) जैसे इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) या इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) के ज़रिए होता है। वह कहती हैं, '25 साल के बाद, अगर पीरियड्स में कोई अनियमितता या समस्या हो, तो तुरंत फर्टिलिटी टेस्ट (AMH ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड) आदि करवा लेने चाहिए। 30-35 साल के बीच फर्टिलिटी टेस्ट अनिवार्य हो जाते हैं, खासकर अगर आप बच्चे की प्लानिंग कर रही हों। अगर प्रजनन क्षमता कम पाई जाए, तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार जल्द से जल्द फ्रीजिंग जैसी प्रक्रिया करवानी चाहिए। फ्रीजिंग के लिए सबसे उपयुक्त उम्र 20-32 के बीच मानी जाती है क्योंकि इस उम्र तक अंडे की गुणवत्ता अच्छी रहती है।
बांझपन बढ़ने के क्या कारण हैं?
वह कहती हैं कि खराब खान-पान, पोषण की कमी, प्लास्टिक कणों के अत्यधिक संपर्क में आना, मोबाइल रेडिएशन, धूम्रपान, शराब, तनाव और प्रदूषण जैसे कारण प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। कोविड-19 महामारी के बाद भी गर्भधारण करने की क्षमता प्रभावित हुई है।
एग फ्रीजिंग की लागत कितनी है?
डॉ. नीलम सूरी के अनुसार, इस प्रक्रिया की लागत अलग-अलग शहरों में अलग-अलग हो सकती है और इसमें हार्मोन इंजेक्शन, प्रक्रिया और फ्रीजिंग शुल्क शामिल हैं। फ्रीज किए गए अंडे उसी केंद्र में रखे जाते हैं जहाँ उन्हें जमा किया गया था और अगर महिला बाद में सिंगल मदर बनना चाहती है, तो उसे स्पर्म डोनर की आवश्यकता होगी, जिसके लिए कुछ कानूनी नियमों का पालन करना होगा। पटना स्थित एवेटा आईवीएफ सेंटर की चीफ इनफर्टिलिटी कंसल्टेंट और गायनोकोलॉजिकल एंडोस्कोपिक सर्जन डॉ. शशिबाला ने इस बारे में 'आजतक.इन' को बताया कि एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया में एकमुश्त प्रक्रिया शुल्क के साथ-साथ वार्षिक नवीनीकरण शुल्क भी शामिल होता है, जो 10,000 रुपये से लेकर 30,000 रुपये तक हो सकता है। कुल खर्च 1-1.5 लाख रुपये तक हो सकता है। यह विकल्प महिलाओं को तब दिया जाता है जब वे अपनी इच्छा से माँ बनना चाहती हैं। लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि फ्रीजिंग के बाद बच्चा ज़रूर पैदा होगा। इसलिए महिलाओं को अपनी जैविक घड़ी को समझना चाहिए और यह भी कि उम्र के साथ उनके अंडों की संख्या और गुणवत्ता कैसे कम होती जाती है।
माँ बनने के लिए कौन सी उम्र सबसे अच्छी है?
30-33 साल से पहले बच्चा पैदा करना सबसे अच्छा माना जाता है। 35 के बाद अंडों की गुणवत्ता में तेज़ी से गिरावट आती है। इसलिए बेहतर है कि जल्द से जल्द बच्चा पैदा कर लिया जाए या फ्रीजिंग करवा ली जाए। महिलाओं में 20-25 साल की उम्र तक प्रजनन क्षमता ज़्यादा होती है, फिर धीरे-धीरे कम होती जाती है। यह 30-35 की उम्र तक गिरता है और 35 के बाद तेज़ी से गिरता है। 35 साल के बाद, प्राकृतिक गर्भधारण की संभावना हर महीने 5% कम हो जाती है। 20-25 साल की महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से गर्भधारण के लिए कम तैयार होती हैं, लेकिन उस समय उनका प्रजनन स्तर ज़्यादा होता है। अंत में, डॉ. शशिबाला महिलाओं को प्राकृतिक रूप से माँ बनने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने या एग फ़्रीज़िंग करवाने की सलाह देती हैं। तनाव से दूर रहना, जंक फ़ूड कम खाना, प्रदूषण से बचना, रोज़ाना व्यायाम करना, पौष्टिक भोजन करना, पर्याप्त धूप (विटामिन डी के लिए) और अच्छी नींद लेना स्वस्थ गर्भधारण के लिए ज़रूरी है।
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