छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के भीतर जारी मतभेद अब खुले मंच पर दिखाई देने लगे हैं। मंगलवार को बिलासपुर में आयोजित "वोट चोर, गद्दी छोड़" प्रदेशव्यापी अभियान के दौरान ऐसा नजारा सामने आया जिसने न केवल कार्यकर्ताओं को चौंकाया बल्कि पूरे राजनीतिक गलियारे में चर्चा छेड़ दी। इस कार्यक्रम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें मंच पर भाषण दे रहे पूर्व मंत्री और आदिवासी नेता अमरजीत भगत से माइक छीने जाने की घटना कैद है।
कार्यक्रम का माहौल और विवादमंगलवार को कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ "वोट चोर, गद्दी छोड़" अभियान के तहत राज्यभर में सभाएं आयोजित की थीं। इसी कड़ी में बिलासपुर में भी एक सभा रखी गई। कार्यक्रम में कई बड़े नेता मौजूद थे और मंच से भाजपा सरकार पर जमकर प्रहार किया जा रहा था। इस बीच जब पूर्व मंत्री अमरजीत भगत भाषण दे रहे थे, तभी अचानक मंच संचालन कर रहे नेता ने उनसे माइक छीन लिया।
वीडियो हुआ वायरलयह घटना वहां मौजूद कार्यकर्ताओं और मीडिया के कैमरों में कैद हो गई। वीडियो इंटरनेट मीडिया पर आते ही वायरल होने लगा। वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि अमरजीत भगत कुछ महत्वपूर्ण बातें कह रहे थे, तभी मंच पर मौजूद एक नेता ने आकर उनका माइक ले लिया। इस दौरान मंच पर बैठे अन्य नेता भी असहज नजर आए।
कांग्रेस के भीतर असहमति की तस्वीरराजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के भीतर बढ़ते मतभेदों की ओर इशारा करती है। पिछले कुछ समय से पार्टी नेताओं के बीच रणनीति और नेतृत्व को लेकर असहमति की खबरें आती रही हैं, लेकिन सार्वजनिक मंच पर इस तरह का दृश्य पहली बार सामने आया है। यह न केवल संगठनात्मक अनुशासन पर सवाल खड़े करता है बल्कि कार्यकर्ताओं में भी गलत संदेश जाता है।
विपक्ष के निशाने पर कांग्रेसवीडियो वायरल होते ही विपक्षी दलों ने कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। भाजपा नेताओं ने कहा है कि कांग्रेस अपनी ही अंतर्कलह में उलझी हुई है और जनता की समस्याओं पर ध्यान देने के बजाय आपसी विवाद में समय बर्बाद कर रही है। उनका कहना है कि जब पार्टी मंच पर ही अपने वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं कर पा रही है, तो वह प्रदेश की जनता का क्या ख्याल रखेगी।
कांग्रेस नेताओं की सफाईहालांकि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस घटना को हल्के में लेने की अपील की है। उनका कहना है कि मंच संचालन के दौरान समय प्रबंधन को लेकर ऐसी स्थिति बनी। इसे मतभेद या विवाद के रूप में देखना सही नहीं होगा। मगर राजनीतिक जानकार मानते हैं कि वीडियो का प्रभाव संगठन की एकजुटता की छवि पर जरूर पड़ेगा।
आगे की रणनीति पर निगाहेंअब देखना होगा कि कांग्रेस आलाकमान इस घटना को किस नजर से देखता है। क्या वे आंतरिक कलह को सुलझाने के लिए कोई कदम उठाएंगे या इसे केवल एक सामान्य घटना मानकर छोड़ देंगे। फिलहाल इतना तय है कि बिलासपुर की यह सभा प्रदेश कांग्रेस में उभरते मतभेदों की नई मिसाल बन गई है।
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