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सहरसा में छात्रा के साथ छेड़खानी, मनचले ने मांग में सिंदूर भरकर किया उत्पीड़न

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बिहार के सहरसा जिले से एक बेहद दुखद और निंदनीय घटना सामने आई है। यहां कोचिंग से लौट रही एक छात्रा के साथ मनचलों ने छेड़खानी की। विरोध करने पर मनचले ने छात्रा की मांग में सिंदूर भर दिया और उसे खींचकर अपने साथ ले जाने की कोशिश की। पीड़िता केवल सातवीं कक्षा की छात्रा है और वह उस समय कोचिंग से घर लौट रही थी।

घटना के अनुसार, रास्ते में उस छात्रा को राहुल नामक युवक परेशान करने लगा, जो उसी गांव का रहने वाला है। युवक ने उसे छेड़खानी की कोशिश की और जब छात्रा ने इसका विरोध किया, तो उसने उसकी मांग में सिंदूर भर दिया। इसके बाद छात्रा डर के मारे घर की ओर भागने लगी। इस बीच आरोपी ने उसे आगे से घेरकर अपने साथ ले जाने का प्रयास किया।

स्थानीय लोगों और परिवारवालों ने घटना की जानकारी तुरंत पुलिस को दी। पीड़िता के परिजन ने बताया कि यह घटना उनके लिए गहरा सदमा और शर्मिंदगी लेकर आई है। उन्होंने आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

पुलिस ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि आरोपी के खिलाफ घरेलू उत्पीड़न और छेड़खानी के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम सक्रिय है। पुलिस का कहना है कि घटना की गंभीरता को देखते हुए मामले की तत्काल जांच और पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि किशोरियों और छात्राओं के साथ इस तरह की घटनाएं समाज में सुरक्षा और सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर करती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि परिवार और समाज को बच्चों को सड़क और सार्वजनिक स्थानों में सुरक्षित रखने के लिए सतर्क रहना चाहिए।

समाजवादी संगठनों और महिला अधिकार समूहों ने भी इस घटना की निंदा की है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाओं में न केवल आरोपी को कानूनी सजा मिलनी चाहिए, बल्कि समाज में जागरूकता और सुरक्षा के उपाय बढ़ाए जाने चाहिए। उन्होंने स्कूलों और कोचिंग संस्थानों के आस-पास सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की मांग भी उठाई।

इस घटना ने यह दिखा दिया कि केवल परिवार या स्कूल का सुरक्षा कवच पर्याप्त नहीं है। सार्वजनिक स्थानों और मार्गों पर निगरानी, सीसीटीवी और पुलिस गश्त जैसी व्यवस्थाएं भी जरूरी हैं। किशोरियों के साथ होने वाले उत्पीड़न को रोकने के लिए समाज और प्रशासन दोनों को मिलकर काम करना होगा।

सहरसा में हुई इस घटना ने एक बार फिर सामाजिक सुरक्षा, किशोरी सुरक्षा और कानूनी कार्रवाई की जरूरत को सामने रखा है। अब यह देखना बाकी है कि प्रशासन और पुलिस इस मामले में कितनी जल्दी और प्रभावी कार्रवाई करते हैं।

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