मांडू के पूर्व विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने मौजूदा विधायक तिवारी महतो पर गंभीर आरोप लगाया है। पटेल ने दावा किया है कि महतो ने अपने चुनावी हलफनामे में अपने आपराधिक मामलों की जानकारी पूरी तरह साझा नहीं की है। उनके अनुसार, महतो के खिलाफ कुल 12 मामले दर्ज हैं, लेकिन उन्होंने हलफनामे में केवल 10 मामलों का उल्लेख किया है।
पटेल ने कहा कि यह चुनावी नियमों का उल्लंघन है और इससे मतदाताओं को वास्तविक जानकारी नहीं मिल पा रही है। उन्होंने निर्वाचन पदाधिकारी से मांग की कि इस मामले की जांच कर चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजी जाए। उनका कहना था कि कानून के अनुसार, उम्मीदवार को अपने सभी आपराधिक मामलों का खुलासा करना अनिवार्य है और इसे छिपाना गंभीर अपराध है।
निर्वाचन पदाधिकारी ने इस मामले पर कहा कि शिकायत गंभीर है और इसकी जांच करके आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि शिकायत की रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी जाएगी, जो आगे उचित निर्देश देगा। चुनाव आयोग इस प्रकार के मामलों में उम्मीदवारों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सक्रिय रहता है।
वहीं, विधायक तिवारी महतो ने जयप्रकाश भाई पटेल द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज किया है। महतो ने कहा कि उनका हलफनामा सभी नियमों और कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार भरा गया है और किसी भी मामले को छुपाया नहीं गया। उन्होंने इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोप बताया और कहा कि यह केवल चुनाव के दौरान प्रतिद्वंद्वी को प्रभावित करने की कोशिश है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के विवाद चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बन जाते हैं, खासकर जब पूर्व और मौजूदा विधायकों के बीच मुकाबला हो। उन्होंने यह भी कहा कि निर्वाचन अधिकारियों और चुनाव आयोग की भूमिका महत्वपूर्ण होती है ताकि सभी उम्मीदवारों की पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके और मतदाता सही जानकारी के आधार पर निर्णय ले सकें।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मांडू में यह मामला आगामी चुनावों के राजनीतिक माहौल को प्रभावित कर सकता है। पूर्व विधायक का दावा और मौजूदा विधायक का खंडन दोनों ही पक्षों के समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। इससे मतदाताओं के बीच जानकारी और असमंजस की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि मामले की पूरी जांच होने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने सभी पक्षों से अपील की कि वे शांतिपूर्ण और कानूनी प्रक्रिया का पालन करें और किसी भी प्रकार के अव्यवहारिक कदम से बचें।
मांडू में यह विवाद यह स्पष्ट करता है कि चुनाव में पारदर्शिता और आपराधिक मामलों की खुलासे की प्रक्रिया कितनी महत्वपूर्ण है। चुनाव आयोग और निर्वाचन अधिकारियों की सतर्कता और समय पर कार्रवाई ही ऐसी घटनाओं से चुनाव की निष्पक्षता बनाए रखने में मदद कर सकती है।