भुवनेश्वर, 15 अगस्त (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भुवनेश्वर में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। इस अवसर पर उत्कल विपन्न सहायता समिति द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि स्वतंत्रता में स्व और तंत्र है। स्व के आधार पर तंत्र चलता है तब स्वतंत्रता आती है । भारत एक वैशिष्ट्यपूर्ण देश है। वह दुनिया में सुख शांति लाने के लिए जीता है । दुनिया को धर्म देने के लिए जीता है। इसलिए हमारे राष्ट्रध्वज के केंद्र में धर्मचक्र है। ये धर्म सबको साथ लेकर, सबको जोड़कर, सबको उन्नत करता है। इसलिए लोक में और परलोक में सबको सुख देने वाला है। ये धर्म दुनिया को देने के लिए भारत है, ये हमारी विशेषता है। ये देने के लिए भी तंत्र हमारा होना पड़ेगा। स्व के आधार पर चलना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि देश में सबको सुख, शांति, प्रतिष्ठा दिलाने के साथ-साथ विश्व के समक्ष जो समस्याएं हैं, उसे अपनी दृष्टि के आधार पर शांतियुक्त दुनिया बनाने वाला उपाय देना हमारा कर्तव्य है। इसके लिए हम सबको वैसा ही परिश्रम, वैसा ही त्याग और वैसा ही बलिदान करना पड़ेगा जैसा स्वतंत्रता को प्राप्त कराने के लिए हमारे पूर्वजों ने किया था ।
उन्होंने अपने उद्बाेधन में कहा कि स्वाधीनता मिले अठहत्तर साल हो गए। अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने का पहला प्रयास 1857 में हुआ और तब से लगातार यह प्रयास चलते रहे, अनेक मार्गों से चलते रहे । सशस्त्र अथवा निशस्त्र और सतत तीन पीढ़ी तक लोग अपना बलिदान देते रहे, जेल में जाते रहे । परिस्थितियां बदलती रहीं, लेकिन स्वतंत्रता मिलने के लिए परिस्थिति की अनुकूलता आने तक समाज और उस समय के नेताओं ने यह सारे प्रयास जारी रखे ।
उन्होंने कहा कि मेरा जन्म देश की स्वाधीनता के बाद का है । अठहत्तर साल बाद हम लोगों ने देश की स्वतंत्रता के लिए किये गये प्रयासों का स्मरण करना पड़ता है क्योंकि हमारे पूर्वजों ने कमाया। हमको तो अनायास मिल गया, लेकिन इसको प्राप्त करने में भी बड़ा परिश्रम लगा है और इसको बनाए रखने और बढ़ाने में भी परिश्रम लगेगा। हमारे पूर्वजों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते समय यह नहीं सोचा कि अनुकूलता जब आएगी तब काम होगा। अनुकूलता अभी नहीं है, यह जानकर भी सतत प्रयास के द्वारा उन्होंने यह भावना जनमानस में जागृत रखी । वैसा ही हमको परिस्थिति का विचार किए बिना हमारे देश का सुख शांति एकता सबको सम्मान सबको प्रतिष्ठा करनी होगी। इसके साथ साथ विश्व में कलह मुक्ति, विश्व में पर्यावरण समस्या आदि बातों का निदान करके सुखी सुंदर दुनिया बनाने वाला विश्वगुरु भारत बने, इस अपने कर्तव्य का स्मरण आज हम सब लोग करें ।
इस अवसर पर ओडिशा (पूर्व) के प्रांत संघचालक समीर महांति व उत्कल विपन्न सहायता समिति के अध्यक्ष अक्षय कुमार बिट मंच पर उपस्थित थे ।
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(Udaipur Kiran) / सुनीता महंतो
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