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एनएसयूआई ने डीईओ कार्यालय के बाहर एनसीईआरटी मॉड्यूल की प्रतियां जलाईं, ज्ञापन सौंपा

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भोपाल, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने मंगलवार काे मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के बाहर एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित नवीनतम मॉड्यूल/शैक्षणिक सामग्री में प्रस्तुत तथ्यों काे आपत्तिजनक और भ्रामक बताते हुए उसके खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

एनएसयूआई जिला अध्यक्ष अक्षय तोमर ने कहा कि एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने जिला शिक्षा अधिकारी के सामने मॉड्यूल की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया और जिला शिक्षा अधिकारी को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक के नाम ज्ञापन सौंपा है । अक्षय तोमर ने आराेप लगाते हुए कहा कि एनसीईआरटी द्वारा जारी इस प्रकार की सामग्री न केवल ऐतिहासिक तथ्यों के साथ अन्याय है, बल्कि शिक्षा को राजनीतिक बनाने का खतरनाक प्रयास है। यदि इस आपत्तिजनक मॉड्यूल को तत्काल प्रभाव से वापस नहीं लिया गया तो एनएसयूआई और कांग्रेस इसे लेकर सड़कों पर आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा कि एनसीईआरटी मॉड्यूल में भारत विभाजन से जुड़े तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया है। इसमें विभाजन की पूरी जिम्मेदारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर थोपने का प्रयास किया गया है, जो कि ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत, पक्षपातपूर्ण और भ्रामक है भारत का विभाजन कई जटिल कारणों और परिस्थितियों की उपज था, इसे केवल एक राजनीतिक दल पर थोपना सरासर अन्याय है।

आंदोलन की चेतावनी

रवि परमार ने कहा कि यह केवल शुरुआत है। यदि एनसीईआरटी ने इस विषय पर त्वरित कार्यवाही नहीं की, तो आने वाले दिनों में प्रदेश और देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में छात्र आंदोलन चलाया जाएगा। एनएसयूआई ने यह भी ऐलान किया कि कांग्रेस और एनएसयूआई कभी भी देश के स्वतंत्रता संग्राम और बलिदान की छवि को धूमिल होने नहीं देंगे।

एनएसयूआई की प्रमुख मांगें –

1. एनसीईआरटी मॉड्यूल से आपत्तिजनक और भ्रामक सामग्री को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।

2. इस प्रकार की गलत जानकारी शामिल करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों एवं विशेषज्ञों पर कड़ी कार्रवाई हो।

3. शैक्षणिक सामग्री का पुनः परीक्षण करने के लिए निष्पक्ष और प्रामाणिक इतिहासकारों की एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए।

4. विद्यार्थियों को सत्य और तथ्यों पर आधारित निष्पक्ष इतिहास उपलब्ध कराया जाए ताकि उनकी सोच पर किसी भी प्रकार का राजनीतिक प्रभाव न पड़े।

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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे

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