कोलकाता, 14 अप्रैल . मुर्शिदाबाद में हाल ही में भड़की हिंसा को लेकर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सोमवार को नेता प्रतिपक्ष शुवेंदु अधिकारी ने सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल रही है. वर्ष 2026 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव राष्ट्रपति शासन के तहत कराए जाने चाहिए. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव अगले वर्ष अप्रैल-मई में होने हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मूक दर्शक बनी रही, जबकि भीड़ ने कई इलाकों में जमकर उत्पात मचाया. जहां भी हिंदू अल्पसंख्यक हैं, वहां उन्हें मतदान से रोका जाता है. पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी की कैडर की तरह काम कर रही है. इसलिए निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव तभी संभव हैं, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए. आरोप लगाया कि हाल की हिंसा के पीछे जिहादी तत्व सक्रिय हैं, जिन्हें खुली छूट दी गई है. उन्होंने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि वह स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रपति शासन की सिफारिश पर विचार करे.
उल्लेखनीय है कि वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ शुरू हुआ विरोध धीरे-धीरे हिंसक झड़पों में बदल गया, जिसमें अब तक कम से कम तीन लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायल हुए हैं. प्रभावित इलाकों में दुकानों, घरों और होटलों को आग के हवाले कर दिया गया.
दोषियों की हो रही पहचान
उधर भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि लोग बंगाल छोड़ नहीं रहे, बल्कि राज्य के भीतर ही स्थानांतरित हो रहे हैं. प्रशासन स्थिति सामान्य करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है और दोषियों की पहचान की जा रही है. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को स्पष्ट किया कि पश्चिम बंगाल में संशोधित वक्फ कानून लागू नहीं किया जाएगा.
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