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दहेज प्रथा रोकने के लिए की अनूठी पहल: बेटियों की शादी एक रुपये में की थी, अब बेटे की शादी में भी एक रुपया ही लिया

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दाैसा, 15 अप्रैल . जिले के गुर्जर सीमला निवासी एक परिवार ने अपने बेटे की शादी में एक रुपया लेकर दहेज प्रथा को रोकने की पहल की है. गुर्जर समाज में यह शादी समाज के लिए एक अनूठा उदाहरण पेश किया गया. जिसकी चहुंओर सकारात्मक चर्चा बनी हुई है कि सामाजिक परिवर्तन के दौर में दहेज प्रथा को रोकना जरूरी हो गया है. दरअसल, मेहंदीपुर बालाजी क्षेत्र के गुर्जर सीमला निवासी विजय खटाना के बेटे कुलदीप सिंह की शादी आभानेरी क्षेत्र के जस्सापाडा गांव निवासी शिवचरण बैंसला की बेटी अर्चना के साथ तय हुई. ऐसे में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सोमवार शाम को गुर्जर सीमला गांव से खटाना परिवार बारात लेकर जस्सापाडा गांव पहुंचा. जहां गुर्जर समाज की परम्पराओं के अनुसार कुलदीप और अर्चना की शादी धूमधाम से सम्पन्न हुई. शादी में बारात को जलपान के बाद अगवानी की गई और दुल्हन पक्ष की ओर से दहेज की परम्परा निभाई गई. दहेज में दुल्हा पक्ष को नेग के रूप में एक रुपया दिया गया, जिन्हें सहर्ष स्वीकार किया. दुल्हे के दादा रूपसिंह पटेल ने दहेज को एक सामाजिक बुराई बताते हुए बड़ी ही विनम्रता के साथ दहेज में मात्र कन्या और कलश स्वीकार कर समाज के समक्ष एक अनूठी मिसाल पेश की.

समाज के लोगों ने की प्रशंसा

दूल्हा कुलदीप सिंह अभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है और पिता विजय खटाणा खेती—किसानी से जुडे हुए हैं. ऐसे में सामान्य किसान परिवार द्वारा दहेज प्रथा को रोकने के लिए की गई इस पहल को शादी समारोह में मौजूद सभी लोगों ने एक अनूठी और अनुकरणीय मिसाल बताया. दुल्हे के पिता ने बताया कि विवाह में दुल्हन ही वास्तविक दहेज है और इस बात को चरितार्थ करने में पूरा परिवार और रिश्तेदार प्रसन्न हैं. समाज में इस प्रकार की पहल को आसपास के क्षेत्र समेत पूरे जिले में सराहनीय कदम बताया गया है.

बेटियों की शादी भी एक रुपये में की थी

गुर्जर सीमला निवासी निवासी रूप सिंह पटेल के बेटे चरणसिंह और विजय खटाना की तीन बेटियों की शादी करीब तीन पहले बाणे का बरखेडा के कसाना परिवार और रानी का बास गांव के चेची परिवार में सम्पन्न हुई थी. उस वक्त भी इनकी ओर से दहेज में एक रुपया दिया गया था, जिसे दूल्हा पक्ष की ओर से सहर्ष स्वीकार किया गया था. उसके बाद अब इन्होंने भी अपने बेटे की शादी में एक रुपया दहेज लेकर सामाजिक परिवर्तन की मिशाल पेश की है.

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/ चरणजीत

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