– सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में वार्षिक विक्रमोत्सव, विश्वविद्यालय का नामकरण और अब महानाट्य मंचन की पहल
भोपाल, 15 अप्रैल . मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर विक्रम संवत जिनके नाम पर प्रारंभ हुआ, ऐसे कल्याणकारी शासक रहे सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. इसमें विक्रम विश्वविद्यालय का नामकरण, सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय करने का निर्णय भी शामिल है. इसके पूर्व वार्षिक विक्रम उत्सव की शुरुआत कर राज्य सरकार ने सम्राट विक्रमादित्य को यथोचित सम्मान देने का कदम उठाया था. इस क्रम में हाल ही में सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस महानाट्य के माध्यम से रंगमंच के महत्व से भी पूरे राष्ट्र को अवगत करा दिया है.
जनसम्पर्क अधिकारी अशोक मनवानी ने मंगलवार को बताया कि वैसे तो इस डिजिटल युग में सूचना और मनोरंजन के कई फॉर्मेट लोकप्रिय हो चुके हैं, लेकिन भारतीय नाट्यशास्त्र की सुदृढ़ और समृद्ध परंपरा से जन-जन को विशेष रूप से युवा वर्ग परिचित करवाने के लिए नई दिल्ली में सम्राट विक्रमादित्य नाटक का निरंतर तीन दिन मंचन होना महत्व रखता है. बहुत दिन नहीं हुए जब हम डिजिटल तकनीक को आत्मसात कर बैठे थे. ऐसा लगता था कि पारंपरिक कलाओं को हम भूल रहे हैं. लेकिन मध्य प्रदेश से जो संदेश पूरे राष्ट्र में पहुंचा है वह यह है कि अभिनय, प्रकाश संयोजन, संगीत, वेशभूषा और विशाल मंच के माध्यम से हमारे पौराणिक चरित्रों का जीवन सामने आना चाहिए. हमारे वे आदर्श शासक और आराध्य जो युवा पीढ़ी द्वारा भुला दिए गए हैं या युवा पीढ़ी को हमने उनसे परिचित ही नहीं करवाया तो इसमें कसूर वर्तमान पीढ़ी का भी है. युवाओं के पास समय भी है. सृजन की शक्ति भी है, जिज्ञासा का तत्व भी विद्यमान है तो फिर उन्हें इन राष्ट्र के आदर्श प्रतीकों की जानकारी से वंचित क्यों रखा जाए और बच्चे भी कलाओं के प्रति रुचि रखते हैं, वे भी इस विधा के लिए जिज्ञासु हो सकते हैं. यदि उन्हें महान व्यक्तित्वों के बारे में ज्ञानवर्धक विवरण देने वाले नाटक मंचन से जोड़ा जाए.
प्रतापी शासक राजा भोज और अन्य सेनानियों की गाथा भी आएगी मंच पर
भोपाल में कुछ वर्ष पूर्व लाल परेड मैदान पर जाणता राजा का मंचन हुआ था, जिसमें शिवाजी महाराज के कृतित्व को दर्शाया गया था. इस नाटक के मंचन से यह जागृति प्रारंभ हो जाती लेकिन वह लहर न बन सकी. एकाध मंचन हुआ और मामला समाप्त हो गया. देश की राजधानी में लाल किले पर तीन दिन लगातार सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन मध्यप्रदेश के लिए गर्व की बात है. यह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का नवाचार है. हमारे ऐसी दानवीर शासक जिन्होंने वीरता और न्याय के क्षेत्र में भी दृष्टांत स्थापित किए, वे पाठ्य-पुस्तकों में तो आ गए हैं लेकिन पाठ्य-पुस्तकों से बाहर मंच तक क्यों न पहुंचें. आखिर युवा पीढ़ी को उनकी विस्तार पूर्वक जानकारी क्यों नहीं दी जाना चाहिए? यह नवाचार आगे जाएगा अन्य राज्यों में भी न केवल सम्राट विक्रमादित्य के कार्यों की जानकारी, नागरिकों को मिलेगी बल्कि भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, राजा भोज, सम्राट अशोक और स्वतंत्रता सेनानियों सहितभारत के गौरव रहे अन्य महापुरुषों के कृतित्व की गाथा बताने वाली नाट्य प्रस्तुतियां होंगी. दिल्ली में हुए नाट्य मंचन सफल रहे हैं. हाथी, घोड़ों के उपयोग और बीसियों की संख्या में कलाकार दल के साथ इतिहास के उस दौर को जीवंत करना साधारण कार्य नहीं है. संस्कृति विभाग, विक्रमादित्य पीठ, सामाजिक संगठन और सांस्कृतिक संगठन इसके लिए एकजुट हुए. दिल्ली की मुख्यमंत्री ने इन कार्यक्रमों के लिए जो समन्वय किया उसकी भी मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रशंसा की है.
युवाओं को मिलेगी प्रेरणा
कलाओं के विकास के साथ भारतीय गौरव का स्मरण करते हुए देश की प्राचीन संस्कृति, भारतीय अस्मिता को सामने लाना आवश्यक है. प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सिर्फ कहने के लिए विरासत से विकास की बात नहीं कही, वे चाहते हैं इसका दायरा विस्तृत हो. हमारे युवा हेरिटेज वॉक करें. वे किलों और स्मारकों को देखें. तत्कालीन शासकों के शौर्य से परिचित हों. भारतीय स्वाभिमान के प्रसंग चर्चा का विषय बनें. सिर्फ बंद कमरों में संगोष्ठी न हो बल्कि भारत के ऐसे गौरवशाली व्यक्तित्व बच्चों के बीच भी जाने जाएं. स्कूली पाठ्यक्रम से लेकर विद्यालयों, महाविद्यालय के पाठ्यक्रमों में सगर्व उनका उल्लेख हो और नाट्य मंचन उस थ्योरी को प्रैक्टिकल रूप में रंगमंच पर प्रस्तुत करे. महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य का मंचन युवाओं को रंगमंच विधा की ओर आकर्षित करने के लिए प्रेरित करेगा.
रंगमंच कलाकार भी हुए उत्साहित
रंगमंच से जुड़े देश के हजारों कलाकारों का मन हर्षित है और वे मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रति आभार का भाव रखते हैं, जो उन्होंने इस कला को महत्व दिया और राज्याश्रय भी दिया. सैकड़ों कलाकारों को प्रोत्साहित किया. थिएटर की शक्ति सही दिशा में और सही विषय को लेकर दिखाई दी है.
तोमर
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