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भारत की संस्कृति 'सनातन संस्कृति' है : प्रो. रमाशंकर दुबे

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वडोदरा, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय एवं भारत विकास परिषद, गुजरात दक्षिण प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्ट्र प्रथम’ सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। चार दिवसीय इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि एवं इंदु फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. विजयभाई शाह ने बताया कि ‘राष्ट्र प्रथम’ का यह कार्यक्रम वडोदरा जिले के सभी विश्वविद्यालयों में चल रहा है। इसके अंतर्गत छात्र-छात्राओं को मानसिक एवं बौद्धिक ज्ञान का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

संस्था के जन संपर्क विभाग की जारी से विज्ञप्ति के अनुसार कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमाशंकर दुबे ने कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि हमारे विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य भी “वयं राष्ट्रे जाग्रयाम पुरोहिताः” है, अर्थात हम ऐसे नागरिक या पुरोहित बनें जो राष्ट्र को जगाने का कार्य करें। हम संकल्प लेते हैं कि राष्ट्र को सदैव जागृत बनाए रखेंगे। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के शिकागो भाषण की प्रथम पंक्ति से ही विश्व को अद्वैत वेदांत का ज्ञान हुआ।

प्रो. दूबे ने कहा कि देश वह होता है जिसका केवल एक भौगोलिक भू-भाग होता है, लेकिन राष्ट्र वह है जिसकी एक जीवंत संस्कृति होती है। भारत की संस्कृति सनातन संस्कृति है। सभ्यताएं आती-जाती रहती हैं, किंतु संस्कृति का प्रवाह निरंतर चलता रहता है। भारत की संस्कृति अन्य देशों से भिन्न और अध्यात्म-प्रधान है। भारत भूमि का कोई साधारण टुकड़ा नहीं, बल्कि एक जीता-जागता राष्ट्रपुरुष है।

कार्यक्रम में भारत विकास परिषद की केन्द्रीय समिति के सदस्य हितेशभाई अग्रवाल ने कहा कि परिषद का उद्देश्य संपर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा और समर्पण है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत के सभी राज्यों में परिषद की कुल 1600 शाखाएं कार्यरत हैं, जिनसे 75,000 से अधिक प्रबुद्ध नागरिक सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं।

इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ. बलदेव प्रजापति ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। मुख्य वक्ता एवं गुजरात उच्च न्यायालय की अधिवक्ता हीरांशी शाह ने छात्र-छात्राओं को हमारे संविधान की विशेषताओं से अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में सह-संयोजक डॉ. दीपक भानुशंकर भट्ट ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ. शिल्पा पोपट ने किया।

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(Udaipur Kiran) / Abhishek Barad

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