नई दिल्ली, 16 अप्रैल . नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) की चार्जशीट के बाद राजनीति तेज हो गई है. कांग्रेस देशभर में प्रदर्शन कर रही है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा )ने पलटवार करते हुए कहा कि गांधी परिवार ने गैरकानूनी तरीके से हजारों करोड़ की संपत्ति पर कब्जा किया है. कांग्रेस को धरना देने का अधिकार है, लेकिन जमीन लूटने का नहीं. देश के कानून से कांग्रेस परिवार ऊपर नहीं है.
बुधवार को भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बहुत परेशान है और देशभर में धरना देने की बात कर रही है. धरना देने का अधिकार उनका है, लेकिन जमीन और फंड लूटने का अधिकार उन्हें (कांग्रेस को) नहीं है. नेशनल हेराल्ड 1937 में शुरू किया गया था. इसमें 5 हजार शेयर होल्डर्स थे. ये नेहरू खानदान की जागीर कभी नहीं रही है. 2008 में नेशनल हेराल्ड का पब्लिकेशन बंद हो गया, क्योंकि वो चल नहीं रह था. उसके बाद कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड को पब्लिश करने वाली एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड को 90 करोड़ रुपये दिए थे.
गांधी परिवार का पूरा आचरण भ्रष्टाचार का रहा है. शेयर की हेराफेरी करो और संपत्ति बनाओ, जबकि ये सारी संपत्ति सरकार द्वारा दी हुई थी.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस ने राजनीतिक पार्टी होने के बावजूद पार्टी फंड को एक निजी संस्था को दे दिया, जो प्रतिबंधित है. जब कंपनी ने लोन वापस करने से मना कर दिया, तो पूरी संपत्ति परिवार के नाम करने की कॉरपोरेट साजिश की गई. यंग इंडियन नाम की एक नई कंपनी बनाई गई, जिसमें 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास थी. उन्होंने कहा कि हम भाजपा की ओर से सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि क्या कानून को अपना काम नहीं करना चाहिए? हजारों करोड़ की संपत्ति पर आपने गैरकानूनी और गलत तरीके से कब्जा कर लिया है, तो क्या हमें इस पर चुप रहना चाहिए.
उन्होंने कहा कि परिवार ने 90 करोड़ की संपत्ति सिर्फ 50 लाख में खरीद ली. परिवार के एक अन्य सदस्य ने 3 करोड़ में जमीन खरीदी और उसका व्यवसायीकरण करके उसे 58 करोड़ में बेच दिया. यह है ‘विकास का गांधी मॉडल’. एक बात जो याद रखनी चाहिए कि सोनिया और राहुल गांधी जमानत पर बाहर हैं. उन्होंने जांच को खत्म करने का हर संभव प्रयास किया. अदालत द्वारा दी गई एकमात्र राहत यह थी कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने की आवश्यकता नहीं थी. जांच चार साल से चल रही है और अभी तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है. कांग्रेस को इन मूर्खतापूर्ण विरोध प्रदर्शनों में शामिल होकर खुद को मूर्ख नहीं बनाना चाहिए. वे इस देश के मालिक नहीं हैं और न ही सोनिया गांधी और न ही राहुल गांधी देश के कानून से ऊपर हैं.
उल्लेखनीय है कि इसकी शुरुआत एक नवंबर 2012 को भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दिल्ली की एक अदालत में दायर की गई शिकायत से हुई थी, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सत्ता में थी. आरोप यह था कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी एक नई गठित कंपनी यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजीएल) का अधिग्रहण करने के लिए धोखाधड़ी की गतिविधियों में लिप्त थे, जिसमें उनकी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी थी.
शिकायत के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एजीएल को 90.25 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया. इसके बाद यह ऋण 50 लाख रुपये की मामूली राशि पर यंग इंडियन को सौंप दिया गया. इस लेन-देन ने एजीएल की व्यापक रियल एस्टेट होल्डिंग्स, जिसकी कीमत लगभग 2,000 करोड़ रुपए है, का नियंत्रण यंग इंडियन को सौंप दिया, जो मुख्य रूप से सोनिया और राहुल गांधी की स्वामित्व वाली कंपनी है. इस चाल ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों का उल्लंघन किया, क्योंकि राजनीतिक दलों को वाणिज्यिक लेनदेन में शामिल होने से प्रतिबंधित किया गया है. तभी से कांग्रेस ने अपने वकीलों की टोली के साथ बार-बार अदालतों से राहत मांगी है. लेकिन वे हर बार विफल रहे हैं.
—————
/ विजयालक्ष्मी
You may also like
Ola S1 Pro Gen 3 Launched: India's Longest-Range Electric Scooter Now at ₹4,000 EMI
पाकिस्तान के आर्मी प्रमुख ने हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच जो फ़र्क़ बताया, उस पर क्या कह रहे हैं वहीं के एक्सपर्ट
Bajaj Pulsar NS 200: The Ultimate Budget-Friendly Bike for Students with 55 kmpl Mileage and Killer Looks
भजनलाल सरकार की खिलाफ टोंक में कांग्रेस ने खोला मोर्चा, वीडियो में देखें घंटाघर पर प्रदर्शन करते कार्यकर्ताओं का रौद्ररूप
OLA Success Story: जानिए कैसे ओला ने छोटे शहरों में टैक्सी बुकिंग की दुनिया को बदल दिया!