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कांग्रेस ने की निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने की मांग, संसदीय समिति की रिपोर्ट का दिया हवाला

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नई दिल्ली, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली शिक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों का हवाला देते हुए कांग्रेस ने केंद्र सरकार से निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण लागू करने की अपील की है।

दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली शिक्षा संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट को आज ही संसद में पेश किया गया। समिति ने सिफारिश की है कि संसद को ऐसा कानून पारित करना चाहिए, जिसके तहत निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में एससी समुदायों के लिए 15 प्रतिशत, एसटी के लिए 7.5 और ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य किया जाए।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में एससी समुदाय के लिए 15 फीसदी, एसटी के लिए 7.5 और ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू करने की मांग की है। रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने न्याय पत्र के माध्यम से वादा किया था कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो संविधान के अनुच्छेद 15(5) को लागू करने के लिए कानून लाया जाएगा, जिससे निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण अनिवार्य हो सके।

उन्होंने बताया कि समिति ने अपने अध्ययन में यह बताया कि वर्तमान में निजी संस्थानों में इन वर्गों का प्रतिनिधित्व बेहद कम है। केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त तीन प्रमुख निजी उत्कृष्ट संस्थानों के आंकड़ों के अनुसार, केवल 0.89 प्रतिशत छात्र एससी वर्ग से हैं, 0.53 प्रतिशत एसटी वर्ग से और 11.16 प्रतिशत छात्र ओबीसी वर्ग से हैं। समिति ने कहा कि यह आंकड़े चिंताजनक हैं और इससे स्पष्ट होता है कि बिना कानूनी प्रावधान के सामाजिक न्याय की दिशा में प्रगति संभव नहीं है।

समिति की सिफारिश में यह भी कहा गया कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15(5), जिसे 2006 में 93वें संविधान संशोधन के ज़रिए जोड़ा गया था, सरकार को निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने का अधिकार देता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2014 के प्रमति एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट बनाम भारत संघ मामले में अनुच्छेद 15(5) की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। इसके बावजूद अब तक संसद ने कोई ऐसा कानून पारित नहीं किया है जो इस अधिकार को लागू कर सके।

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(Udaipur Kiran) / प्रशांत शेखर

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