– छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिलेे से जुड़ी तेलंगाना के सीमावर्ती क्षेत्र कर्रेगुट्टा की पहाड़ी में हुई थी नक्सलियों की सुरक्षाबलों से मुठभेड़
बीजापुर, 12 मई . छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से जुड़ी तेलंगाना राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र कर्रेगुट्टा की पहाड़ी में अबतक के सबसे बड़े नक्सली विराेधी अभियान के दौरान बीते सात मई काे सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में मारे गए 20 नक्सलियों के शवों की शिनाख्त की गई. इसके बाद 11 शवों के पोस्टमार्टम और अन्य कानूनी औपचारिकताओं के पूरा होने के बाद परिजनों को सौंप दिया गया. बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने इस संबंध में सोमवार को यह जानकारी दी.
दरअसल, सोमवार को कोंडपल्ली, तुमरेल, कोंडपल्ली तामोपारा, पोचेर, हिरोली, भुसापुर, तुमरेल-तुमरपारा, भुसापुर-सरपंच पारा गांव के लोग बीजापुर जिला अस्पताल पहुंचे थे. इस दाैरान बीजापुर के कांग्रेस विधायक विक्रम शाह मांडवी भी अस्पताल पहुंचे. उन्होंने बताया कि सुबह से पहुंचे ग्रामीण अपनी-अपनी बारी का इंतजार किस तरह कर रहे हैं, कभी वाहन नहीं मिलने की परेशानी, ताे कभी शव की फोटो नहीं देख पाने की परेशानी. शव की पहचान न होने की तमाम परेशानियों को देखते हुए उन्होंने जिले के एसपी डॉ. जितेंद्र कुमार यादव से फोन पर संपर्क कर जल्द कार्रवाई पूरा करने की बात की. विधायक की पहल पर शव ले जाने के लिए वाहन और पुलिस अमला पहुंचा और इसके बाद परिजनाें काे मदद मिली.
बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी ने राज्य की भाजपा सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एक तरफ ऑपरेशन को सफल बताते हुए 22 नक्सलियों को ढेर करने पर जवानों को बधाई देते हैं, दूसरी तरफ प्रदेश के गृह मंत्री कहते हैं कि बीजापुर में किसी प्रकार का ऑपरेशन नहीं हुआ है और इस मुठभेड़ या ऑपरेशन में 22 नक्सलियों के मारे जाने के जो आंकड़े आ रहे हैं, उसे गलत बताते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों के बयान आपस में विरोधाभासी हैं. सरकार सभी के सामने प्रेसवार्ता कर स्पष्ट करे कि उसूर थाना क्षेत्र में जो 18 दिनों तक ऑपरेशन चला, उसमें जवानों ने जिन लोगों को मुठभेड़ में ढेर किया, क्या वे वास्तव में नक्सली थे या ग्रामीण? और अगर वे नक्सली थे तो उनकी शिनाख्त में इतना समय क्यों लग रहा है? सरकार से मांग है कि इन सभी बातों को लेकर स्पष्टीकरण दिया जाए.
बीजापुर क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में हुई मुठभेड़ के बाद जिला अस्पताल शव लेने पहुंचे परिजनों से स्थानीय पत्रकाराें ने बातचीत की. परिजनों ने बताया कि उन्हें मालूम ही नहीं था कि उनके परिवार का कोई सदस्य मुठभेड़ में मारा जा चुका है. उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पित नक्सली जिन्हें पुनर्वास नीति का लाभ मिला है. उनके द्वारा उन्हें फोन करके बताया गया कि उनके घर के युवक व युवती की पहचान नक्सली के रूप में हुई है. मुठभेड़ के दौरान उनका शव मिला है. परिजनों ने यह भी बताया कि पत्रकाराें से बात होने पर उन्हें यह पता चला कि कोई मुठभेड़ हुई है और 20 से 25 नक्सलियों का शव बीजापुर लाया गया है. इन सारी बातों को लेकर परिजन जिला मुख्यालय पहुंचे और कोतवाली में फोटो के माध्यम से उन्होंने अपने परिजनों की पहचान की और फोटो में दिए नंबर की वजह से उन्हें उसी नंबर के नक्सली का शव मिला.
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/ राकेश पांडे
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