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सामाजिक सम्मान नष्ट हो रहा है : कोलकाता की सड़कों पर उतरे अयोग्य शिक्षक, सीबीआई की जांच पर भी उठाए सवाल

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कोलकाता, 14 अप्रैल . 2016 की शिक्षक भर्ती में ‘अयोग्य’ घोषित किए गए उम्मीदवार अब न्याय के लिए सड़कों पर हैं. सोमवार को कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से लेकर सुबोध मल्लिक स्क्वायर तक इन शिक्षकों ने एक जुलूस निकाला और सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया कि उन्हें बिना उचित जांच के ‘अयोग्य’ करार दिया गया है जिससे उनका सामाजिक सम्मान प्रभावित हो रहा है. उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा अदालत में पेश किए गए सबूतों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किए हैं.

प्रदर्शन कर रहे रीतेश घोष नामक एक पूर्व शिक्षक ने कहा, सीबीआई ने अदालत में कहा कि हमारी ओएमआर शीट में गड़बड़ी है. उनका आरोप है कि यह शीट मैनिपुलेट की गई थी. लेकिन सीबीआई की बात ही अंतिम सत्य नहीं हो सकती. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई ने बिना निष्पक्ष जांच किए अदालत में रिपोर्ट सौंपी.

बिप्लव बिवार, जो छह साल से अधिक समय तक शिक्षक रहे, ने कहा कि हमने वर्षों तक काम किया, लेकिन अब हमें झूठे दस्तावेजों के आधार पर ‘अयोग्य’ बताया जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 2016 की पूरी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को खारिज कर दिया था और लगभग 25 हजार 752 उम्मीदवारों की नियुक्तियां रद्द कर दी थीं. कोर्ट ने इन सभी को ‘दागी’ यानी ‘टेंटेड’ करार देते हुए तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. साथ ही जिनकी नियुक्ति रद्द हुई है, उनसे वेतन भी वसूलने की बात कही गई थी.

इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है. जांच के दौरान एजेंसी ने गाजियाबाद से एक हार्ड डिस्क बरामद की थी जिसमें ओएमआर शीट से छेड़छाड़ के प्रमाण मिले थे. कुछ उम्मीदवारों की खाली ओएमआर शीट पाए जाने के बावजूद उन्हें नौकरी मिली थी. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि गाजियाबाद से मिली इस हार्ड डिस्क की वैधता संदिग्ध है.

जांच में यह भी सामने आया है कि कई उम्मीदवारों के नाम चयन पैनल में नहीं थे, फिर भी उन्हें नियुक्ति मिल गई. कुछ ने तो पैनल की वैधता समाप्त हो जाने के बाद भी नौकरी पाई. अदालत ने इन सभी को भी ‘अयोग्य’ करार दिया है.

प्रदर्शन में शामिल कुछ पूर्व शिक्षकों ने बताया कि वे सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की योजना बना रहे हैं. इसके अलावा, दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना, अन्य राज्यों में प्रचार अभियान और अनशन जैसे आंदोलनात्मक कार्यक्रम भी प्रस्तावित हैं.

/ ओम पराशर

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