श्रीनगर, 03 मई . देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडित मंगलवार को जम्मू और कश्मीर के तुल्लामुल्ला शहर में माता खीर भवानी का मंदिर पहुंचे हैं. मंदिर में सुरक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवा और जन सहायता के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है. तुल्लामुल्ला पहुंचने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मार्ग पर पुलिस और सुरक्षाबलों की भारी तैनाती की गई है.
गंदेरबल जिले में श्रीनगर शहर से 27 किलोमीटर दूर माता खीर भवानी मंदिर लोकप्रिय रूप से जाना जाता है. वास्तव में यह देवी राग्न्या का मंदिर है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है. माना जाता है कि लंका के राजा रावण माता राग्न्या के परम भक्त थे, लेकिन राजा की जीवनशैली से नाराज देवी ने हनुमान को अपना स्थान बदलकर दूर स्थान पर रखने का आदेश दिया. इस प्रकार देवी का मंदिर तुल्लामुल्ला शहर में स्थित हो गया. मंदिर का गर्भगृह एक पवित्र झरने के बीच में स्थित है, जिसे कश्मीरी पंडित समुदाय अत्यधिक शुभ मानता है. देवी के आंगन में झरने के पानी का रंग भविष्य की घटनाओं का पूर्वाभास देता है. गुलाबी या दूधिया रंग शुभ माना जाता है. काला रंग आपदा का संकेत देता है.
तुल्लामुल्ला शहर के बुजुर्गों का कहना है कि 1947 में जब पाकिस्तानी कबायली हमलावरों ने कश्मीर पर आक्रमण किया था, तो झरने का पानी काला हो गया था. हर साल ज्येष्ठ अष्टमी पर देवी का वार्षिक उत्सव तुल्लामुल्ला मंदिर में मनाया जाता है. त्योहार के दौरान भक्तों द्वारा खीर (दूध, चीनी और चावल को उबालकर बनाया गया हलवा) तैयार किया जाता है और परोसा जाता है इसलिए इसका नाम माता खीर भवानी पड़ा.
घाटी से स्थानीय पंडित समुदाय के पलायन के बाद जब यहां हिंसा शुरू हुई, तो प्रवासी कश्मीरी पंडित देश के विभिन्न स्थानों पर बस गए. इसके बावजूद वह वार्षिक उत्सव पर देवी के मंदिर में पूजा करने आते हैं. पूरी रात भक्तगण अपने संरक्षक देवता का आशीर्वाद पाने के लिए मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. मंदिर में सुरक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवा और जन सहायता के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है. तुल्लामुल्ला पहुंचने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मार्ग पर पुलिस और सुरक्षाबलों की भारी तैनाती की गई है.————————
/ बलवान सिंह