केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इथनॉल के प्रचार में निजी लाभ के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने तंज भरे अंदाज में कहा कि उनका “दिमाग ही 200 करोड़ रुपये प्रति माह का है” और वे कभी पैसे के लिए “नीचे नहीं गिरेंगे”। गडकरी ने यह भी साफ किया कि उनके बेटे उनके काम में मदद करते हैं, लेकिन उनका मकसद सिर्फ किसानों का भला करना है।
इथनॉल पर बहस के बीच गडकरी का जवाबबिजनेस टुडे की खबर के अनुसार, 13 सितंबर को नागपुर में एग्रीकोस वेलफेयर सोसाइटी ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस दौरान गडकरी ने मराठी में बोलते हुए कहा कि इथनॉल मिश्रित ईंधन (E20) को लेकर चल रही बहस में उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। E20 फ्यूल में 80% सामान्य पेट्रोल और 20% इथनॉल होता है। इथनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जो स्टार्च और चीनी से बनता है। इसे पेट्रोल में मिलाने से पर्यावरण को फायदा होता है और यह किसानों के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
भारत सरकार E20 पेट्रोल को बढ़ावा दे रही है ताकि प्रदूषण कम हो और विदेशी तेल पर निर्भरता घटे। लेकिन इस नीति को लेकर सोशल मीडिया से लेकर विपक्षी पार्टियों तक ने गडकरी और उनके परिवार पर सवाल उठाए। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने 6 सितंबर को दावा किया कि गडकरी के बेटे इथनॉल के कारोबार से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि गडकरी खुद इस नीति को लागू कर रहे हैं।
‘मेरा मकसद किसानों का भला’13 सितंबर के कार्यक्रम में गडकरी ने जोर देकर कहा कि उनके सारे प्रयास किसानों के हित में हैं, न कि निजी फायदे के लिए। उन्होंने भावुक अंदाज में कहा, “मेरा भी एक परिवार और घर है। मैं कोई संत नहीं, बल्कि एक नेता हूं। लेकिन मैं हमेशा मानता हूं कि विदर्भ में 10,000 किसानों की आत्महत्या बेहद शर्मनाक है। जब तक किसान समृद्ध नहीं होंगे, हमारी कोशिशें जारी रहेंगी।”
बेटे के बिजनेस पर गडकरी का खुलासागडकरी ने अपने बेटे के कृषि और निर्यात से जुड़े कारोबार का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे नए विचारों से अवसर बनाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, “मेरे बेटे का इंपोर्ट-एक्सपोर्ट का बिजनेस है। उसने हाल ही में ईरान से 800 कंटेनर सेब मंगवाए और भारत से 1,000 कंटेनर केले भेजे। उसने गोवा से 300 कंटेनर मछलियां सर्बिया भेजीं। ऑस्ट्रेलिया में उसने दूध पाउडर की फैक्ट्री लगाई और अब अबू धाबी समेत कई जगहों पर 150 कंटेनर भेजता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि उनका बेटा आईटीसी के साथ मिलकर 26 चावल मिलें चलाता है। गडकरी ने कहा, “मुझे 5 लाख टन चावल के आटे की जरूरत पड़ती है। इसलिए वो मिलें चलाता है और मैं आटा खरीदता हूं।”