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सोलर पैनल से हर महीने कितनी बिजली बनेगी? बिल में कितनी होगी बचत, आसान तरीके से समझें!

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अगर आप अपने घर में 5kW सोलर पैनल लगाने का मन बना रहे हैं, तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि यह सिस्टम कितनी बिजली पैदा करेगा। एक 5 kW का सोलर सिस्टम रोजाना करीब 25 यूनिट बिजली बनाता है। इस हिसाब से, यह हर महीने लगभग 750 यूनिट बिजली पैदा कर सकता है। यह अनुमान इस बात पर आधारित है कि 1 kW का सोलर पैनल हर दिन औसतन 5 यूनिट बिजली बनाता है। लेकिन, यह सिर्फ एक अनुमान है। असल में बिजली का उत्पादन कई चीजों पर निर्भर करता है। आइए, इसे आसान तरीके से समझते हैं।

सोलर पैनल की बिजली बनाने की ताकत

सोलर पैनल कितनी बिजली बनाएगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके इलाके में सूरज की रोशनी कितनी मिलती है। हर जगह धूप की मात्रा अलग-अलग होती है। मिसाल के तौर पर, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में तेज धूप के कारण सोलर पैनल ज्यादा बिजली बनाते हैं। वहीं, उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों या बारिश वाले क्षेत्रों में बिजली उत्पादन थोड़ा कम हो सकता है। इसीलिए, एक 5 kW का सोलर पैनल किसी जगह रोजाना 20 यूनिट बिजली बना सकता है, तो कहीं 30 यूनिट तक भी जा सकता है।

मौसम का असर सोलर सिस्टम पर

सोलर सिस्टम की बिजली बनाने की क्षमता मौसम पर बहुत हद तक निर्भर करती है। जब आसमान साफ हो और धूप तेज हो, तो सोलर पैनल अपनी पूरी ताकत से बिजली बनाते हैं। लेकिन, बारिश, बादल या कोहरे की वजह से बिजली का उत्पादन कम हो जाता है। उदाहरण के लिए, साफ मौसम में जहां 25 यूनिट बिजली बन सकती है, वहीं खराब मौसम में यह घटकर 10-15 यूनिट तक रह सकती है। इसलिए, सोलर पैनल लगाने से पहले अपने इलाके के मौसम का ध्यान रखना जरूरी है।

सोलर पैनल लगाने की सही दिशा और कोण

सोलर पैनल की दिशा और कोण का सही होना बहुत जरूरी है। भारत में सोलर पैनल को आमतौर पर दक्षिण दिशा में लगाया जाता है, ताकि सूरज की रोशनी को सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा सके। इसके अलावा, पैनल का झुकाव कोण आपके शहर की अक्षांश (Latitude) के बराबर होना चाहिए। अगर पैनल गलत दिशा में या गलत कोण पर लगाए गए, तो वे सूरज की रोशनी को पूरी तरह नहीं पकड़ पाएंगे। इससे बिजली का उत्पादन कम हो सकता है।

सोलर पैनल की क्वालिटी क्यों मायने रखती है?

सोलर पैनल की क्वालिटी और तकनीक भी बिजली उत्पादन में बड़ा रोल निभाती है। बाजार में दो तरह के सोलर पैनल मिलते हैं: मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन। इनमें मोनोक्रिस्टलाइन पैनल ज्यादा कुशल होते हैं और ज्यादा बिजली बनाते हैं। अगर आप पुराने या कम क्वालिटी वाले पैनल लगाते हैं, तो हो सकता है कि आप 25 यूनिट रोजाना का लक्ष्य पूरा न कर पाएं। दूसरी ओर, अच्छी क्वालिटी और लेटेस्ट तकनीक वाले पैनल सूरज की रोशनी को ज्यादा से ज्यादा बिजली में बदल सकते हैं।

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