क्या आपने कभी गुस्से, डर या अति उत्साह में ऐसी गलती की, जिसका बाद में पछतावा हुआ? यह कोई संयोग नहीं, बल्कि आपके दिमाग का एक हिस्सा—एमिग्डला—इसके लिए जिम्मेदार है। 10 मई, 2025 को न्यूरोसाइंटिस्ट्स ने बताया कि ‘एमिग्डला हाइजैक’ नामक यह स्थिति हमें भावनाओं में बहा ले जाती है, जिससे गलत निर्णय होते हैं। लेकिन अच्छी खबर यह है कि इसे समझकर और कुछ आसान तरीकों से आप अपनी भावनाओं पर काबू पा सकते हैं। आइए, जानते हैं कि एमिग्डला हाइजैक क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
एमिग्डला हाइजैक: दिमाग का अलार्म सिस्टम
एमिग्डला दिमाग का वह छोटा-सा हिस्सा है, जो भावनाओं को नियंत्रित करता है। यह हमारा ‘फाइट, फ्लाइट या फ्रीज’ रिस्पॉन्स यानी खतरे के समय लड़ने, भागने या जड़ हो जाने की प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है। जब हम गुस्सा, डर या अति खुशी महसूस करते हैं, तो एमिग्डला दिमाग के तर्कशील हिस्से—प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स—को हाइजैक कर लेता है। नतीजा? हम बिना सोचे-समझे प्रतिक्रिया देते हैं, जैसे गुस्से में चिल्लाना, डर में गलत फैसला लेना, या खुशी में जल्दबाजी करना। न्यूरोसाइंटिस्ट्स के अनुसार, यह स्थिति तनाव, थकान या भावनात्मक ट्रिगर्स के कारण ज्यादा होती है।
भावनाओं में बेकाबू होने का असर
एमिग्डला हाइजैक का असर हमारे रिश्तों, करियर और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। गुस्से में कही गई बातें रिश्तों में दरार डाल सकती हैं। डर के कारण लिया गया जल्दबाज फैसला नुकसान पहुंचा सकता है। अति उत्साह में किए गए वादे बाद में बोझ बन सकते हैं। साइकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि बार-बार एमिग्डला हाइजैक होने से तनाव, चिंता और आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। लेकिन इसे समझकर और सही तकनीकों से आप अपनी भावनाओं को संतुलित रख सकते हैं।
एमिग्डला हाइजैक से बचने के तरीके
न्यूरोसाइंटिस्ट्स और साइकोलॉजिस्ट्स ने कुछ आसान और प्रभावी तरीके सुझाए हैं, जो भावनाओं पर काबू पाने में मदद करते हैं। पहला तरीका है सांस पर ध्यान देना। जब आप गुस्सा या डर महसूस करें, तो 4 सेकंड तक गहरी सांस लें, 4 सेकंड तक रोकें और 4 सेकंड में छोड़ें। यह तकनीक एमिग्डला को शांत करती है और तर्कशील दिमाग को सक्रिय करती है। दूसरा है 6 सेकंड का नियम। किसी भी भावनात्मक प्रतिक्रिया से पहले 6 सेकंड रुकें। यह समय आपके दिमाग को सोचने का मौका देता है। तीसरा तरीका है स्थिति से दूरी बनाना। अगर आप गुस्से में हैं, तो उस जगह से हट जाएं या कुछ देर के लिए टहलें।
दीर्घकालिक उपाय
लंबे समय तक एमिग्डला हाइजैक से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। माइंडफुलनेस मेडिटेशन एक शानदार तरीका है। रोज 10 मिनट का ध्यान आपको भावनाओं को समझने और नियंत्रित करने की ताकत देता है। पर्याप्त नींद भी जरूरी है। नींद की कमी एमिग्डला को ज्यादा सक्रिय करती है, जिससे भावनाएं बेकाबू हो सकती हैं। व्यायाम तनाव को कम करता है और दिमाग को संतुलित रखता है। रोज 30 मिनट की वॉक या योग आपके लिवर और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा, ट्रिगर्स को पहचानें। अगर आपको पता है कि कौन सी बातें आपको गुस्सा या डर दिलाती हैं, तो आप पहले से तैयार रह सकते हैं।
सावधानियां और सुझाव
भावनाओं पर काबू पाना एक प्रक्रिया है, जिसमें समय और अभ्यास चाहिए। अगर आपको लगता है कि आप बार-बार बेकाबू हो रहे हैं, तो किसी साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें। डायरी लिखना भी मददगार हो सकता है। अपनी भावनाओं और ट्रिगर्स को नोट करें, ताकि आप उन्हें बेहतर समझ सकें। बच्चों और किशोरों में भी एमिग्डला हाइजैक आम है, इसलिए माता-पिता को उनके साथ धैर्य रखना चाहिए। सोशल मीडिया पर भी सावधानी बरतें, क्योंकि ऑनलाइन ट्रोलिंग या नकारात्मक पोस्ट्स भावनात्मक ट्रिगर बन सकते हैं।
जनता की जागरूकता
सोशल मीडिया पर एमिग्डला हाइजैक और भावनात्मक नियंत्रण को लेकर चर्चा जोरों पर है। #EmotionalControl और #AmygdalaHijack जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “6 सेकंड रूल ने मेरे गुस्से को काबू करने में मदद की, अब रिश्ते बेहतर हैं।” लोग इन तकनीकों को अपनाकर अपनी जिंदगी में संतुलन ला रहे हैं। यह जानकारी खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो तनाव और भावनात्मक उतार-चढ़ाव से जूझ रहे हैं।
निष्कर्ष: भावनाओं का मालिक बनें
एमिग्डला हाइजैक हमें भावनाओं का गुलाम बना सकता है, लेकिन सही तकनीकों से हम इसका मालिक बन सकते हैं। सांस लेना, रुकना, और माइंडफुलनेस जैसे तरीके न केवल गलतियों को रोकते हैं, बल्कि मानसिक शांति भी देते हैं। इन सुझावों को अपनाकर आप गुस्सा, डर या खुशी में बेकाबू होने से बच सकते हैं। हमारी सलाह है कि आज से ही छोटे बदलाव शुरू करें और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ की मदद लें। आइए, अपनी भावनाओं को समझें और एक संतुलित जिंदगी जिएं।
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