बॉलीवुड के दबंग सलमान खान अपनी आगामी फिल्म 'सिकंदर' के प्रमोशन में व्यस्त हैं, लेकिन हाल ही में उन्होंने अपने माता-पिता की प्रेम कहानी को लेकर एक ऐसा खुलासा किया, जिसने सबका ध्यान खींच लिया। सलीम खान और सलमा खान की शादी को 61 साल हो चुके हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस जोड़े को एक साथ लाने में सबसे बड़ी बाधा क्या थी? यह न हिंदू-मुस्लिम संस्कृति थी, बल्कि कुछ और। आइए, इस दिलचस्प कहानी को जानते हैं।
एक अनोखी प्रेम कहानी
सलमान खान ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके पिता सलीम खान और मां सलमा खान की शादी में धर्म कभी मुद्दा नहीं रहा। सलमा खान, जो पहले सुशीला चरक के नाम से जानी जाती थीं, ने सलीम खान से शादी के बाद अपना नाम बदला। लेकिन उस समय समाज और परिवार के लिए सबसे बड़ी चिंता यह थी कि सलीम खान फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे। सलमान ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, "लोगों का कहना था, 'ये तो फिल्म लाइन से हैं!' यही सबसे बड़ा रोड़ा था।" यह सुनकर यह साफ हो जाता है कि उस दौर में बॉलीवुड की चकाचौंध को लेकर कितने पूर्वाग्रह थे।
परिवार का विरोध और समय का इम्तिहान
सलीम और सलमा की शादी आसान नहीं थी। सलमा के पिता इस रिश्ते से इतने नाराज थे कि उन्होंने शादी के बाद अपनी बेटी से 10 साल तक बात नहीं की। यह वह दौर था जब अंतरधार्मिक विवाह को लेकर समाज में कई सवाल उठते थे, लेकिन सलमान के माता-पिता ने प्यार और विश्वास के साथ हर मुश्किल को पार किया। उनकी यह कहानी आज भी प्रेरणा देती है कि सच्चा प्यार किसी भी बाधा को छोटा कर सकता है, चाहे वह धर्म हो या पेशे से जुड़ा पूर्वाग्रह।
सलमान का नजरिया
सलमान ने इस बातचीत में यह भी जाहिर किया कि उनके लिए उनके माता-पिता की यह कहानी सिर्फ एक निजी किस्सा नहीं, बल्कि एक सबक भी है। उन्होंने बताया कि यह कहानी हमें सिखाती है कि प्यार और रिश्तों में विश्वास सबसे अहम है। सलमान की यह बात उनके प्रशंसकों के बीच खूब चर्चा में है, क्योंकि वह अक्सर अपनी निजी जिंदगी को लेकर कम ही बोलते हैं। उनकी यह सादगी और स्पष्टता उनके प्रशंसकों को और करीब लाती है।
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